बेकरारी है
क्यूं ये दूरी है
ये नजर तुझ पर
ही टहरती है
पास मेरे रहो बेवज़ा ही सही
आप ही है
मेरे
राजना
महफिल से
रूट ना जाए
कुछ भी
कहले मुझे नजरों से ना गिरा
मुझे से ना हुई ये ख़ता तुझ पर कर दिया
सब कुछ फिदा
सोचों में यादों में
जीनदों में ख़ाबों में तुही तु
रहता है
दिन बर की बातों में तु
बवफा है या वेवफा
इश्क का तेरे रंग है चड़ा
देखे
जो भी
नजर
नजरों को बाना सका
यदी
कहले
मुझे
नजरों से ना गिरा