प्रेमी भंतों भाई देशराज अपने लड़के यस को लेकर
स्रीदायाम भगत जी के यहां चले आते हैं और स्रीदायाम भगत
जी के आश्रवाद माप्त जई उनका लड़का ठीक हो जाते हैं
प्रेमी भगतों की इस तरह हैं
भाई देशराज भाई उनकी धर्पत्ती परमिरा देवी
पाबा मोहना उनकी भंते में लिन हो जाते
हैं बताते हैं इस बदल के मात्रं से
ओ मेरे पिया खोले धाम चलो आज दोज का मेला आया
मेले पूझे
मोहन राम गोरी वाकिया देबुदे देखी माया
मन की इक्षा पूरी कर दी
फुशियों से मारी जोली भरी दी
मन की इक्षा पूरी कर दी
फुशियों से मारी जोली भरी दी
वहां बनते वहां बनते वहां बनते विगडे काम पिया
की
आश्या वारी
चंद
लिखे बैसला हरे राम यो कान विनोधने गाया