मेरे पित्तर जी महराज खाड़ी जैहो बारंबार
मेरे पित्तर जी महराज खाड़ी जैहो बारंबार
हम तुमको घर में बुलाते तेरी हम जोच जलाते
तेरी राहों में ताजा जी हम अपनी पलके बिछाते
तेरी राहों में ताजा जी हम अपनी पलके बिछाते
मेरे पित्तर जी महराज हर जैहो बारंबार
मेरे सूने पड़े घर में दादा जी तुमने किया उजाला
जब से आये शरण तुम्हारी मैं तो हुआ निहाला
मेरी बिगडी तुमने बनाई जब से तेरी किरपा पाई
पिरपापाई तेरी शरण में रहे सदा मेरा ये परिवार
मेरे पित्तर जी महराज हर जैहो बारंबार
तेरे थान पे डादाजी आसन धरो लगायो
आसन यूपर बैठ पित्तर जी खिर चूरि मो खाओ
तेरी हम रात जगाते पित्तर जादाजी तुम्हे मनाते
तेरी हम रात जगाते
तेरी हम रात जगाते
पित्तर दादा दिज उन्हें मनाते पाँचों वस्तर भेट किये जो उन्हें करें सविका
मेरे पित्तर जी महराज भारी जैहो बारंबार
पित्तर दादा दिज उन्हें मनाते पाँचों वस्तर भेट किये जो उन्हें मनाते पाँचों बारंबार
कोई ही अटके मेरा मन मंदिर में वास हो तेरा मदन तेरा सेवक दादा जी प्रेम करें उन्हें मेरे पित्तर जी महराज भारी जैहो बारंबार