से खुद से मिलना छोड़ दिया जो सपने देखता था मैं
उन पे लिखना छोड़ दिया मुस्कुरहत बोज लगती है
जिन्दगी बस एक सूज लगती है
खतम सा हो गया हूँ मैं जैसे कहानी अधूरी रह गई
तू गई तो मैं भी कहीं अपने अप से दूर हो गया
जो तू थी वही रंग था मेरे अब सब कुछ बस फीका लगता है
खतम सा हो गया हूँ मैं पर
दुनिया के लिए जिन्दा हूँ मैं