इसलिए कहाए विपदा नेव विपद ह। संपदो नेव संपद ह।
विपत्ति,
विपत्ति नहीं है अगर भगवान की भक्ती करते हो ना तो दुख,
संकत,
विपत्ति का भी पता नहीं चलेगे.
हां.
असली विपत्ती है जब हमारा तन,
मन,
धन,
समय भगवान में नहीं लगता है
हाँ
और संसार में लगता है तो विपत्ती आने वाली है
खोब सुखा आजाए,
खोब धन, वेभव, संपदा, मान, संभान मिल रहा है
और भगवान की विस्मरती हो गई है हाँ तो विपत्ती आने वाली है,
वो संपद्धी विपत्ती का रोप धर ले गई
इसलिए भाई वेनो अभी हम ये ठीक-ठीक समझ जीनी पाये
संपद्धी किसको कहते हैं और विपत्ती किसको कहते हैं
राजा परिक्षित जी को विपत्ती आई,
बेढ़ जाओ अभी उधरी बेढ़ो, इधर नहीं आना, अभी नहीं,
हाँ बात में, बेढ़ो
सुगधे मुनी ने कहा राजण,
बेढ़ जाओ,
ये विपत्ती का समय है,
लेकिन तुम भगवान की स्मर्थी करोगे,
भगवान को याद रखोगे,
तो तुम्हारी विपत्ती कव आई और कव गई पता ही नहीं चलेगा
बार बार भगवान को याद करते हैं,
इसलिए हमारे संत महापुरुशों ने कहा है
मेरे दुख के दिनों में वो बड़े काम आते हैं
खेल हो
पजना किसा
पजाना awawning
मेरी नयिया चलती है
पतबार नहीं होती
किसी और की अप मुझको धरकार नहीं होती
मैं रुखता नहीं रस्ते
सुन सान आते हैं
मेरी दुख के दिनों में वो बड़ता माते हैं
वगत वच्चन भगवान
भईवेणो विपत्ती
प्रभुज्ञ
ya panna horra iya tambur
कि अमने भजन नहीं किया,
सेवा नहीं किया,
अमने कोई सत्कर्वणी किया,
अमने पूरी इहम से भागवज्जी नहीं सुनी,
इसका कोई दुख नहीं है.
इसका दुख मनाना जायी है.
काम मनाते हैं?
देखो,
कथा आती है भगवान से...
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