सजा करती थी जिसके वास्ते
शिंगार करती थि
सजा करती थी जिसके वासःते
श्ंगार करती थी
मेरे कोलेजी का लड़का था
जिसे में प्यार करती थी
मेरे कोलेजी का लड़का था
जिसे में प्यार करती थी
जिसे में प्यार करती थी
जिसे में प्यार करती थी
बड़ा शर्मी लसा था वो मेरे दिले को लुभाता था
बड़ा शर्मील असा था वो मेरे कीले को लुबाता था
बड़ी हस्रत लिए जिसे का रोज मैं दीदार करती थी
मेरी कोलेजी का लड़का था जिसे मैं प्यार करती थी
शुरूँ शुरूँ शुरूँ
किताबों के बहाने से वो मिलने आता था अक्सर
मेरी गलियों के हर दम ही लगाता रहता था चक्कर
किताबों के बहाने से वो मिलने आता था अक्सर
कभी मिलने से
My love
towards my college classmate
मेरी आँखों में मांजी के वो जुगनों जिल मिलाते हैं
जो उसके
साथ गुजरे फैजलम हैं याद आते हैं
मैं उसके वास्ते
मैं उसके वास्ते नीदे बड़ी बेकार
करती थी
मेरे कोलेज का लड़का था जिसे मैं प्यार करती थी