एक समय में
राम जी के दूत
पुरा नगर के
चारो तरब घुमत रहन
कि केहु परजा के कौनों दिकत न नहीं के
उह में
एक धोबीन के औरत
तीन चार घंटा से फरार रही
उह एली तो धोबी कहते रहे की
का समझे तरुँ हम रह करें
राम जी
के अतना दिन के बाद
एली सिता जी या घर में राखने ले जौल्दी हमरा सामने से हट जू नहता
हम भूभून के तोरा टेंडर कर देवें वो बेचारी धोबीन दे रहा के हट गे
लिया गाँव में जाके पौंचल लिया राजा के दरबार में आपन को हार लेके
उकर फैसला
शमय के गीत बा उधोबी रहे एक एक आँखो करा रहे सिनेमे में हाफे टिकट
लागत रहे उकरा यह हमर भुया स्री स्वर्गिये कमेशर सिंग तबला बादक
हमर भुया कहत रहे की रहो तह हाफे टिकट लागत
रहे यह भड़ाग जासा आदमी एक आँखे जेर रहो �
कर सके ना ताना सहन और निर्दोष जानकी को भेजवाई बन
छोड़ कर जंगल सीता को वापस हुए लखन रह गई तनहा सीता ने नीचे
जमी और उपर गगन
वापस ना लोटने का दिल में कोई अर्मान रहा
और ओरो कर धरती मयीय से सीता ने कहा
क्या कहा कि मेरे राम ने मुझे को छोड़ा
लच्मन भी नाता तोड़ा अब मैं तो हुई
बनवाती कि यहां मेरा कोई नहीं
यहां मेरा कोई नहीं
सब छूटा जो
अजोध्याती गलीयां
तूने डाली पेरों में बेडियां
संग जीने की भट थी हूं दरदर खाई छोड़ा है साले की ठोकर
हुई जिनके लिए पराई
देती हूं आज दुहाई
अब मैं तो हुई बनवाती
कि यहां मेरा कोई नहीं
यहां मेरा कोई नहीं
शर
परबक से मैं टकराऊं
यहां डूब डूब कर मैं मर जाओं
हैं संकत में
मेरी नईया
दूज़ा
नहीं है कोई क्योईया
दूज़ा नहीं है कोई क्योईया
घणखोर अंधेरा च्छाया
इस मोडप मुझको लाया
घणखोर अंधेरा च्छाया
इस मोडप मुझको लाया
अब मैं तो भी बनवाती की यहां मेरा कोई नहीं की यहां मेरा कोई नहीं
कुछ सोचाय और
कुछ ना भाला
गर्भोती को
भर से निकाला
चारो तरफ है अरे अंधेरा अंधेरा
क्एंसारे देखो लट गया मेरा
मैं रात भरना सोई
मेरे राम से कहेदे कोई
अब मैं तो भी बनवासी की
यहां मेरा कोई नहीं की
यहां मेरा कोई नहीं
यहां मेरा कोई गई की यहां मेरा कोई
नहीं की
तू सुन ले भरती मैया देती हूं बस तेरी जुहय्या
तू फट जायोर
मैं धुक जाऊं कब तक जीवन में छोकर खाऊं
तनमन है मेरा घायल
जीवन है मेरा घायल
तनमन है मेरा घायल
जीवन है मेरा घायल
अब मैं तो हुई बनवासी की यहां मेरा
कोई नहीं की यहां मेरा कोई नहीं
यहां मेरा कोई नहीं
मेरे राम ने मुझे को छोड़ा लच्मन भी नाता तोड़ा
अब मैं तो हुई बनवासी की
यहमरा कोई नहीं की