मेरे महभूब तेरी नरविसी आँखों की कसम
जिन्दगी तुछे भी नहीं तेरी मुहवद के सिवा
मेरे महभूब मुझे अपनी वफाओं की कसम
कोई हंदम भी नहीं तेरी मुहबद के सिवा
मेरे महभूब
एक दिन दिन दिन दिन दिन
पल तुझ से जुदा रहना भी दुशवार हुआ
उम्र बर साथ नभावूंगा ये इकरार हुआ
काल जुल्फों की कसम शोख घटाओं की कसम
जिन्दगी कुछ भी नहीं तेरी मुहबा के सिवा मेरे महबू
मैंने जो देखे थे उन खाबों की ताबीर हो तुम
क्यों ना दिल तुम पेपिदा हो मेरी तकदीर हो तुम
इन नजारों की कसम महिकी हराओं की कसम
कोई हंदम ही नहीं
जिन्दगी कुछ भी नहीं तेरी मुहबा के सिवा मेरे महबू
मेरी दुनियां पे तेरे प्यार का एहसान हुआ
साथ तुम हो ये सफर और भी आसान हुआ
मिल के बिच्च रहेंगे न हम जार के ना होंगी कसम
जिन्दगी कुछ भी नहीं तेरी मुहबा के सिवा मेरे महबूत तेरी
नरिगिस आंखों की कसम जिन्दगी कुछ भी नहीं तेरी
मुहबा के सिवा मेरे महबू