मैंने जभी पुकारा करम कर दिया
मैंने जभी पुकारा करम कर दिया
दूर आका ने हर एक गं कर दिया
तुम चले सुए तैबा हमें छोड कर
क्या किया तुमने आखों को नम कर दिया
रश्क क्यों ना करे अपनी तकदीर पर
हमको अपने घुलामों में जम कर दिया
क्या बताओ तुमें उनकी खेरात ने
घर का घर मेरे बागे इरम कर दिया
देख इश्रत तुझे गर्मिये नात ने
आज आशित शाय उमम कर दिया
मेने जबी पुकारा करम कर दिया
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