मेरे जजबातों को मेरी आँखे कह गई, मेरे जजबातों को मेरी आँखे कह गई, दिल ने दिल पड़ा, बाँजी क्या बात हो गई।
वो मेरा हो गया, ते उसकी हो गई। अब रातों के ख़बों में हम रोज मिलते हैं, दिन की दुरियां अंधेरे मिट्टा देते हैं।
अब रातों के ख़बों में हम रोज मिलते हैं, दिन की दुरियां अंधेरे मिट्टा देते हैं।
अन्धेरे मिठा देते हैं। हम कदम बन गए। हम सफर बन गए। हर लमहा महका वाजि क्या बात हो गई। वो मेरा हो गया। ये उसकी हो गई।
इनकह एक दूचे के नगमें बन चाते हैं। गुल से गुल्शन होके विजा बन जाते हैं।
दुन से गुल्शन होके विजा बन जाते हैं।
गुल्शन होके विजा बन जाते हैं।
गुल्शन होके विजा बन जाते हैं।
गुल्शन होके विजा बन जाते हैं।
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