का हो धानी, अब हैंस्तले बाडु
ए राजजी तबियत न ठीब बाद।
तबियत न ठीब बाद।
तोर हमेशा के यह नाटक हो गई बाद, हर सीजन में।
नही नाटक न बाद।
चल चल उठ चल, गेहु काटे के बाद।
गेहु काटे चला लेके हसु अगतार हो।
अब एक बाद धानी सुनवना तोहार हो।
गेहु काटे चला लेके हसु अगतार हो।
घर भार जारा तारा जाँ,
तोहारी से जारा तारा।
खेति में खतावे खातीरी,
में हरी से लाड़ा हो तारा।
लागता कि घर के नोकराणी हमही बादी न,
अहमही कुल घर के थिमाल लेके बैठल बादी।
अरे तो तै कहल का चहातारी?
कहल का चहातारी साप साप, हैला सुना हमाबास सुना.
बोड़.
प्रस्तुप प्रस्तुप प्रस्तुप प्रस्तुप प्रस्तुप प्रस्तुप प्रस्तुप
प्रस्तुप प्रस्तुप प्रस्तुप प्रस्तुप प्रस्तुप प्रस्तुप
प्रस्तुप प्रस्तुप प्रस्तुप प्रस्तुप प्रस्तुप प्रस्तुप प्रस्तुप �
खेति में ख़तावे खाति में हरी से लोड़ा पारा
खेति में ख़तावे खाति में हरी से लोड़ा पारा
खाप्यादावाद खाप्यादावाद
खाप्यादावाद खाप्यादावाद
सोनु अमीत बैली जैसे बीछे पारा तारा
खेति में ख़तावे खाति में हरी से लोड़ा पारा
खेति में ख़तावे खाति में हरी से लोड़ा पारा