जिन्दा हूं मगल कबर सासमा है।
मीली रगें
गुटन है दूआ है।
सिन्दा हूं मगल।
जूद को मैं काटू या खंजर उतारू।
जीना ये
ये है मरना।
ऐ संदगी
हम तो हारे आले।
आले
सिन्दा हूं मगल।
यादों के नश्ट, दुख का समंदर।
सूली पे ये जान।
ऐ संदगी हम तो हारे आले।
सिन्दा हूं मगल।
जूद को मैं काटू या है दूआ है। सिन्दा हूं मगल।
जूद को मैं काटू या है दूआ है।
उजड़े तो मिले ना ठिकाना।
इस से बेहतर है मर जाना।
सिन्दा हूं मगल।
कबर सा समा है। नीली रगें।
गुटन है दूआ है।
सिन्दा हूं मगल।