जब ये मौन भाईया जम गर क्या बता दिया
लामेजु की प्रस्थोती में
जिसके डाइरेक्ट रहती पंदर कसाना
और सेनिर माता प्रकास गुजर मास्टर जी छोरे जी
डिकोड़ेड बाई राजस्तानी डिकोड़िंग स्टूडियो
माचारी राजकर सहाँ
अरे पूरनमाल तेरी बात देखरी
मौसे खडी अतारी में
आजा बेटे रंग महल मेरा फूल किले फलवारी में
क्या कहने
अरे फूल किले फलवारी मेरा भाई फूल किले फलवारी में
ओ छोड़े
और कह रही है अरे मां मौसी में परक नहीं रह ज्यों अकल बिगड गई तेरी
पेबल नीथ धर रह तू मात धरम की नेरी
क्या कहने
अरे मौसी रह क्यों जुलम गजाने
मौसी नहीं रह जुलम गजाने
क्या कहने
अरे तो प्रतेता कल योग में आन होली होती देखी ला
पूरण मालत्य दी बात देखरी मौसी खडी अटारी में
आजा बेटे रंग महल मेरा फूल किले फलवारी में