इज़े ...
इज़े ...इज़े ...वीणी सर्मव
माहराज गांचु
कितनु परंबावाके फक्षनी तब सुखल मोड़ा चतनी
तमाईरे अबनारो होगे ससुरार पर बावः गावातार पर न
आज शुने, नौशुने, चार्शुने, पाँच, पाँच शुने
जापसे हम गयले,
तबसे पुछुना ही काईले,
ओरावा मिले,
एना ही राज भर सुथाईले
इजे, इजे, इजे,
वीनी सर्माव
महाराज गणचच
वीजे वीनी
809, 405, 500
allerdings
Sangha अच्छंत सर्माव महाराज गणचच वीजीवेन
हर हर हर हर हर खोईबुल इजय विड़ी महराज गान जुन्जु
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