को लो to do ए सुनेले के नुख हो तो नहीं ले ले गई जान खाली तो एक चाय बनाला तो वह चाय लेने से काम लगा तो यह करने देवा
किशी कितने ठीक कहा है इसी कारण तुम तुम्हारी औरत्यास तब औरत्यास से नीचे रहेगी
कैसे रहेगी निच्छे
बात सुले मेरी
आज जितनी मर्दों की हो है न
अच्छा
इतनी औरतों की भी पावर है
अपनी औरत जात की तरब से कुछ कहना चाहोगी
कहूँगी बिल्कुल कहूँगी ठोकते है
कहते जी बरके
सुले बात मेरी
तुझ जैसे बे मर्द औरत की
सुने है
कहदे
तुझ जैसे बे दर्द मर्द औरत की करें बुराई
सुनले
कहदे
मर्दों को आजाता रहिम ना करती दया लुगाई
मर्दों को आजाता रहिम ना करती दया लुगाई
मर्दों को या जाता रहम ना करती दाया लुगाई
मर्दों को या जाता रहम ना करती दाया लुगाई
मर्दों को या जाता रहम ना करती दाया लुगाई
मर्दों को या जाता रहम ना करती दाया लुगाई
सबने बूरी बताई
तुझ जैसी बीदर्द मरद औरत की कर भुराई
मर्दों को या जाता रहम ना करती दाया लुगाई
तुझ जैसी बीदर्द मरद औरत की कर भुराई
पाड़ा पति धरम देवी ने
ब्याही बड़ के क्वारी
महरानी पिंगला कर बेठी कोछवान ते यारी
महरानी पिंगला कर बेठी कोछवान ते यारी
हरी चंद का तारवती ने
साथ निभाया बारी
हरनंदी इन बेटी होके लात बाप के मारी
हरनंदी इन बेटी होके लात बाप के मारी
अम्बा न दुख सहे घने जो भी सम न ठुकराई
मता होके कुंती को न दया करन पे आई
तुझ जैसे भी धर्द मरद होरत की गरे पुराई
मर्दों को या जाता रहम न करती दया लुगाई
मर्दों को या जाता रहम न करती दया लुगाई
बहुत अच्छे
क्या बात है
और तुझे बताओ
ऐसी ऐसी मुरांगना पैदा हुई है
हर देश में
जिनका नाम इतियास में लिखा गया
साबुत्री का नाम सुनाता ने
हां सुनाता था
जितने धरमराज से भी अपने पती के प्राण खुड़वा लिये थे
और ऐसी ऐसी भी कम्मक क्खत हुई जी
नन बेटा करकी कर दिया
मेरी बात सुनले पहले
हाँ, कहते
साबुत्री ने साजनखातर
साबुत्री ने साजनखातर
उस चंद्र प्रभान कुए में जा मधन सेन को गेरा
उस चंद्र प्रभान कुए में जा मधन सेन को गेरा
अजी सिंग की राणी वाला जेला कश्ट भतेरा
अरजुन की राणी थी द्रोप दी उजड कर की देरा
अंग्रे जो के हो से उडाती जेखे लग नी बाई
सूपन खान जूट बोला
अरजुन की राणी थी द्रोप दी उजड कर की देरा
लच मन की ना कटाई
सूपन कान जूट बोल लच मन के ना कटाई
तुझ जैसे भी दरज मरद ओरत की करें बुराई
मरदों को आ जाता रहम ना करती दया लुगाई
मरदों को आ जाता रहम ना करती दया लुगाई
मरदों को आ जाता रहम ना करती दया लुगाई
साजन कहा तरे पट्टी बांधी अन्धी हुई गन भारी
देवर से साजन कटवाया थी एक राजदुलारी
देवर से साजन कटवाया थी एक राजदुलारी
मीरा बाई प्रेम पुजारन खिलसन को अति प्यारी
देवर से साजन कटवाया थी एक राजदुलारी
घूरमेन कन विश्वा मित्र ते कर दी थी गद्धारी
इंदरपाल लिखता जाँगा राजलोया कविताई
नई बसती गुरु सरने दास ने नई आपा लगाई
अर तुझ जैसी विधर जिमरज ओर रत की करे बुराई
मर्दों को या जाता रहम ना करती दया लुगाई
मर्दों को या जाता रहम ना करती दया लुगाई
ना करती दया लुगाई