हाँ..
हाँ..
ये प्राज़ावाद पहला सहाँ..
से..
ये प्यावाद पहला..
ये से..
ये प्यावाद पहला..
तुम तो कहती जी..
कि मेरे जैसा कोई दोस्रा नहीं..
मुझे देख दे देख दे रात हो जाती थी..
अब जो मुर्खे देखता हूं..
तो साहल पे..
तेरे बैर के निशान भी नहीं..
मेरी दिल की दर्धन में..
दूर दूर विरानी है..
जब भी देखता हूं मैं रार को जांकी तरफ..
मेरी ही नजर से बादल चा जाते..
तेरे प्यार को इस कदल चाहा मैंने..
कि अब तेरी चाहत से चाहत को चाहता हूं..
मेरे इशक की इंतिहार को मुझे देख..
हर कदम दिवानवार चाहता हूं..
तू
मर्द है..
बहुत सर्द है..
तेरा प्यार तो बस
एक गर्द है..
एक धूल है जो उरजाती है..
पल दो पल में बिखर जाती है..
तू
मर्द है..
बहुत सर्द है..
तू मर्द है..
बहुत सर्द है..
अब..
जब तू
चाहें मेरी
पूजा कर..
जब तू चाहें मेरी कट पुतली..
जब तू चाहें मेरी पूजा कर..
जब तू चाहें मेरी कट पुतली..
तेरे जए..
तू मर्द है..
तू मर्द है..
बहुत सर्द है..
मेरे घर्कां भी तू
एक फर्त है..
एक फूर है जो
पुजा जीविं..
पल दो पल में बिखर
जाती है..
चले थे बहुत दूर का फैसला करकर..
क्या पता था..
दो कदम पर ही रूट जाएंगे..
तमाम उम्र उनको मनाने में गुजरेगी..
हम तो अपने आप से ही
चले जाएंगे..
Đang Cập Nhật
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