मन्सूर ने तो सूली पे खुद को चला के भीये तबरेगने भिखाल को अपनी खिचा के भीसर्मस्त थे वो मस्त के सर को नजा के भीतकली दून की चाहिये सागर उठा के भीपीना जो चाहता है तो खुद को मिटा के भीअझी पीना पीना पीना पीनाजो चाहता है तो खुद को मिटा के भीयूसुप ने अपने हुस्ल का जल्वा दिखा के भीइसाने फुम्बे इजनी से मुर्दे दिला के भीआयूप ने भी सबरु की हद को मिटा के भीए तू आश्टाने साति एक उसर पे जाके भीगुमकर्दा कारवा है तू मंजिल पे जाके भीगुमकर्दा कारवा है तू मंजिल पे जाके भीगुमकर्दा कारवा है तू मंजिल पे जाके भीअकपर सन जमान भी शह से जुदा हुआ, आखों के सामने खलत तस्तर का छित गया।किस किस का जिक्रु हाँ, हाँ किस किस का जिक्रु ही जिये सब घर ही लुट गया।आर देखे तो कोई आज कले जाहु सैन का, घर को लुटाके भी, कभी सरको गटाके।अजि घर को लुटाके, हाँ, अगर को लुटाके भी, कभी सरको गटाके भी।वाहितो मेंदाहियासा।ਮੈ ਦੀਸ੍ਗੁ ਕੇ ਬੀਨੇ ਗਾਦਾਂ ਨੇਹੀ, ਆਪੋਮੇ ਹੁਖੇ ਯਾਰਖੀ ਬੀਸੀ ਗਾਰਗ ਨੇਹੀ।। ।