एक बहुराणी
अपनी साथ से कहती माजी
घरखा चाहे कोई काम करवा
मैं अरगर की रीत न जानू हूँ
रोटी बर्तन पोचा भुहारी
सबवरे उठ के तरे चरन चुकारूंगी मने पढ़न लिखन का इतना चाहे
अगर माची डालपढ़न लिख गी
तो किते सरकारी नोकरी लाग के थारे कुल की
सोबा को बढ़ाऊंगी लेकिन मेरे पर लामनी न होए मैं कदे खेत में गईये नहीं
मेरी आप से हाथ जोड़कर विन्ती है मेरा दाखला करवा दे
कैसे अपनी साथ से विन्ती कर रही हैं
आईए
गर की रीत जानती सारी
रोटी बरतन पोचा बुआरे
दीनर पे उठता कोणा गांम लावनी होए नाशासू
कदे न ठाई माने सूती कदे न ठाई कदे न बापल ने दम काई
एरी मैं जानू सारे काम लावनी होए नाशासू
एरी मैं जानू सारे काम लावनी होए नाशासू
एरी मैं जानू सारे काम लावनी होए नाशासू
मनने था शोक पढ़ड़े का ज्यादा
सिक्षा बिना नहीं कुछ फाइदा
जानू सारे काम लावनी होए नाशासू
जानू सारे काम लावनी होए नाशासू
जानू सारे काम लावनी होए नाशासू
जानू सारे काम लावनी होए नाशासू
मनने क्यूं बोले से धमकाके
सिंग लाया था मनने ब्याके
जोड़ू दोनू आया गये हाथ लावनी होए नाशासू
एरी मनने राख चाहे वत राख लावनी होए नाशासू
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