अपनी अपनी कठरी लादे
चलता हर कोई
दूजे की कठरी में जाके
फिरता हर कोई
लागे है सबको ये भाईया लागे है ये सबको
दूजे की कठरी में लाकों अपनी कठरी में सो
लागे है सबको ये भाईया लागे है ये सबको
दूजे की कठरी में लाकों अपनी कठरी में सो
लिपसा के जुन्ड से तू लिपता, लिपसा के जुन्ड से तू लिपता, खो दिया तूने जैन रे
अपना पिंजिरा आप ही बुनता, अपना पिंजिरा आप ही बुनता, हुँ गया उसमें केद
तू मन की गटरी खो, और बाग की गटरी छोड, ना भाव जगा ना मोड, बस मन की गटरी खो
चोरों से ही चोर बचाते हैं अपनी अपनी गटरी
कहां छितेगा कितनी दूर, एक ही सब की पटरी
रे आगे चलके देख है विकरी
रे आगे चलके देख है विकरी
चल के देख है भिकरी कटरी पड़ी अनेक रे
आकंदे पे ना है सर पे
आकंदे पे ना है सर पे
काट है सब पे एक
तू मन की कटरी खो और बाग की कटरी छो
तू मन की कटरी खो और बाग की कटरी छो
ना भाव लगा ना मोल बस मन की कटरी खो
तू मन की कटरी खो और बाग की कटरी छो
कोई गटरी को ताजी बना के
सर पर बाद के पिरता
कुछ मोटी गटरी की चामे
कुछ मोटी गटरी की चामे
पीट जुका के बिखता
तू बस कर यार अब बस कर
कोहत हो गया अब बस कर
अब छोड़ दे ये पार
पुर्णी बचली वो
और बीचानी वो
तू मन की गटरी छोड़ और बाकी गटरी छोड़
तू मन की गटरी छोड़ और बाकी गटरी छोड़