मून्ड का कुछ पता ना कब खराब हो जा
इसलिए बात करते समय अकड का परियोग ना करें
खेल हो गए फेरे जान पर मंड़प खूँग दवा गे रहे
है
खूँग दवा गे रहे
खेल हो गए फेरे जान पर मंड़प खूँग दवा गे रहे
थी जिस वाइब
थी जिस वाइब
थी जिस वाइब
थी जिस वाइब
थी जिस वाइब
मेरा बाब रिटायर पोची साइन यूँ समझ लिये डिल हूँची साइन
तू कित काई सत्री पाप कैसे तिरी खालतार कैसे दर्देगा
हम भी तो हर बाती साइन सच्चन से अपरादी साइन
पोश्ट मारटम होगा छोर इतना पार तुपरते पाँज
औडा खूख मैं साड़ा कै बंदूख दे वांगेर
चैहों के थेरे जान को मंड़क थूख दे वांगेर