मनतो तक दूस्त वेव सम्मुल
मकश्यमनाच रेलावतीतो मदे मनारा दगा कदीतो
तो सूर कोता जान मनाशमोष्ता कोता मनाभी वपागमितो
मनतो तक दूस्त वेव सम्मुल
मबुनुबे आलमनाच मेरुल
देलामे पुरूषे जदत तयल बे
मचुन जान तो
जल्दी बदल बे
मनारा सूर का
तिबाजी दर्दां तो भी मनिया को जान उगल बे
दूस्त वेव सम्मुल
मबुनुबे
आलमनाच मेरुल
अमीमे इश्की,
अमीमे आली तो निष्तशाते अमेदिन दवाली
तो जर्रो महला बुलेब कनाने नजरुतो अकरं तरारा कमाली
तो सक्दूस्त वेव सम्मुल
मबुनुबे
आलमनाच मेरुल
मबुनुबे आलमनाच मेरुल
03:25
00:00