मन परेशान है
दिल भी हैरान है
हारता जा रहा
तू कहाँ शाम है
मन परेशान है
दिल भी हैरान है
हारता जा रहा
तू कहाँ शाम है
चलते चलते प्रभू
आ गया मैं कहाँ
कुछ खबर ही नहीं
कुछ नहीं ज्यान है
मन परेशान है
दिल भी हैरान है
हारता जा रहा
तू कहाँ शाम है
मन परेशान है
तू कहाँ शाम है
मन परेशान है
है कठिन ये सफल
दूर मन्जिल बड़ी
ना तो है रह गुजल
मुश्किलें भी खड़ी
कापते होठों पे
भी तेरा नाम है
हारता जा रहा है
दूर मन परेशान है
दिल भी हैरान है
हारता जा रहा है
तू कहाँ शाम है
मन परेशान है
दूर मन परेशान है
नीर जैसे मेरे अश्क है बह रहे
सुन भी लो ना प्रभू
तुम से कुछ कह रहे
तुम से कुछ कह रहे
आसुओं ना प्रभू
में छुपा मेरा पैगाम है
हारता जा रहा
तू कहाँ शाम है
मन परेशान है
दिल भी हैरान है
हारता जा रहा
तू कहाँ शाम है
मन परेशान है
मन परेशान है
अब समय आ गया
मेरे संकट हरो
जखम जो भी मेरे
शाम तुम परेशान है
शाम तुम ही भरो
तेरे निल्मल का बस
तू निगहे बान है
हारता जा रहा
तू कहाँ शाम है
मन परेशान है
दिल भी हैरान है
हारता जा रहा
तू कहाँ शाम है
चलते चलते प्रभू
आ गया मैं कहाँ
कुछ खबर ही नहीं
कुछ नहीं ज्ञान है
मन परेशान है
हारता जा रहा