Nhạc sĩ: Hemant Kumar, Prem Dhawan
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बादल के संग दूर गजल में
आज नशे में गाता घीत मिलन के रे
आस के पंथ लगाकर पंथी मस्ताना
पी की नजरिया आज चला दिल देवाना
घन घन बादल गर्जे तो क्या
चम चम बिजली चमके तो क्या
शंसल मन तो रुप न कही न जाने रे
आज नशे में गाता घीत में
मन मेरा उड़ता जाए
बादल के संग दूर जगन में
आज नशे में गाता घीत मिलन के रे
उठती हैं जैसे सागर में
कल कल छल छल करें
मन में वैसे ही जाग रहें
पल पल व्यापुल मसंगे
आज नरोपो प्यार करें
आज नरोपो प्यार के इस दिवाने को
आपकों से दिल जाता है तो जाने दो
आज नरोपो प्यार के इस दिवाने को
आपकों से दिल जाता है तो जाने दो
तोड़ चला ये बंदं बंदारी
जहां सजन का प्यार पुकारे
साधल है मन सब ही किती की माने
मन मेरा उड़ता जाए
बादल के संग दूर दगन में
आज नहें मिलगा सागी तुमिलन के