सुख तो पैसे से भी परे है, सुख मन का विशय है, और मन तुमारा कब सुखी होता है, जब तुमसे कोई प्रेम से बोलता है, प्रेम से विवार करता है,जब तुमें कोई धन्डिवाद देता है, जब तुमें कोई खयाल करता है, तब तुमारे मन को सुख लगने लगता है, सुख लगता है,आपकी लाड़ी जब आपकी पेर छूती है, थोड़ा सुख लगता है, और वही लाड़ी जब,अकड कर,मुड करआख दिखाती हैबहुत मन को दुख लग जाता हैजब तुमारा बेटा तुम से कहता हैपिताजीआप ठीक तो है नकोई तकलीफ तो नइतनी बास से भीतुमारा मन सुख पा जाता हैऔर जब तुमारा बेटातुम से बोलता नहींतुम्हारे पास बैठता नहीं, तुम्हारी ओर देखता भी नहीं, तुम्हारी लाड़ी मुझ फेर लेती दूसरी तरफ, तब तुम्हारे मन को दुख लग जाता है, कि मेरा ही बेटा है, मुझ से बोलता नहीं,और बेटे के साथ में इतना विवाद कभी न करना, कि पिता और पुत्र में बोल चाल ही बंदा हो जाए,और बेटा जब विवाह कर ले, तो याद रखना, बेटे को थोड़ा जिम्बेदारियां भी दे दे,चिन के लिए,चिन के बास में जिम्मेदारी नहीं है, उनका मन भटक जाता है,और चिन के बास में बहुत बड़ी रिस्पांस्विल्टी है, उनका मन जिम्मेदारी में अटक जाता है,खाली मन सैदान का घर होता है,खाली बैठने वालेलोगों के अंदरअधिक बुराईयां देखी गईइसलिए कुछ काम करोकुछ काम करोऔर ठक जाओ तो आराम करोयह ध्यान बखना चाहिएऔर अपनी मा को24 घंटे मेंकम से कम तो चार बारमा कह करके पुकारा भी करोयह शब्दों में जान हैयह शब्दों में शक्ती हैजब तुम अपनी मा कोकहते होमा मुझे भोंख लगी हैमा का मनखुश हो जाता हैकि कम से कममेरा ही अस्थानमेरे बेटे के दिल में हैजो मुझसे भोंख की बातयदि दूर कहीं पढ़ते हो, सवेरे उठ करके रोज अपने माता पिता को आधा मिनट फोन करके, मोबाइल करके प्रणाम कर लिया को, और बता दिया करो सब ठीक है, मैं सौस्थ हूँ, तंदुस्त हूँ, पढ़ाई भी ठीक चल रही हूँ,और कभी कभी वीडियो काल में बात कर लिया को, क्योंकि आपके मावाद की ममता आपके लिए इतनी अधिक है, कि वे आपको देखना भी चाहते हैं, देख करके भी उनके मन को सुख मिलता है,क्योंकि तुम्हारा सरीर उनके ही सरीर का टुकडा हैउनके ही सरीर का अणस हैउनके ही सरीर का ये बना हुआ एक ढाचा हैकभी आलश मत करोप्रेम से बोल तो पिताजी चिन्ता मत करनामैं बड़ा हो जाओंगा तो बहुत कमाओंगासब तुम्हारी मनो कामना पूर्ण कर देगाऔर मन में बहुत बड़ी सोच रखनाबड़ी प्लानिंग रखनाजब मैं छोटा थामेरे गाओं में चुनाओं के लिए वोट मांगने के लिए जीप आती थीतो सब बच्चे जीप के पीछे पीछे भाग देतेतो मैं उन बच्चों से कहता थाजीप के पीछे मत दोड़ो धूर लगती हैएक दिन ऐसा आये का हम जीप लाएंगे तुमको बिठाएंगेउनसे बोलता थाफिर मैं शंत हो गया तो बात जूठी हुईतो शंत बन करके जब बस लाया तो अपने जनमभुमी पहुचाउन सब बच्चों को बिठाया बस में और गाउं में घुमायातो बोले आपने अपना वादा निभा दिया हैबच्चों में भी अपने मन में बहुत बड़ा शंकल परिजियेमहत्वा कांच्या जगरत किजियेजिस बालक के अंदर महत्वा कांच्या नहीं हैवो बालक पढ़ने में धीला रहेऔर जिस विक्ती के अंदर कोई बिशेस महत्वा कांच्या नहीं हैवह व्यक्ति काम करने में धीला रहे हैं और जिस साधु में कोई महत्व का अंच्छा नहीं है वह साधु बहुत धीला ढाला रहे हैंऐसे चलेगा लगता है कहीं से खोन निकलवा के आया है मरा मराया आधमरा तेड़ा तेड़ा जा रहा हैऔर जिस साधु के अंदर बहुत बड़ी महत्व का अंच्छा है वह साधु भाष्ट चलेगा उसको जल्दी रहेगा दिन रात संघर्ष और महनत करेगा
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