जै जै मल्लिकार्जुन शेवशंकर भोले त्रिपुरारी
जो तिरलिंग स्वरूप है पावन जै भव भयहारी
ओम हर हर हर महदेव
शेलम परवत पेशो भित मंदिर है न्यारा
ओ प्रभु मंदिर है न्यारा
शेव चरणों को धोती है
प्रिष्णा की जल धारा
ओम हर हर हर महदेव
मल्लिका है मा पारवती और अर्जुन है शंकर
और अर्जुन है शंकर
जो तिरलिंग में भव भयहारी
जो तिरलिंग में एक रूप है
जो तिरलिंग में एक रूप है
दोनों अभयंकर
ओम हर हर हर महदेव
इतनव मंगल हो उसका जो दर्शन को आवे
जो दर्शन को आवे
शिव संग मा पारवती की
शिव के संग मा पारवती की
किरपा भी पावे
ओम हर हर हर महदेव
देव दनुझनर रिशी मुनी सब मिलके यश गाए
सब मिलके यश गाए
भाग्य समर जाए उसका
जो चरण शरण पाए
ओम हर हर हर महदेव
ओम हर हर हर महदेव
दुबह शाम जो करे आरती
दुख मिटते सारे
यश वै भव समान मिले
यश वै भव समान मिले
भर जाते भड़े
जय जय मलिकार जुन शिव शंकर भोले त्रिपुरारी
जो तिरलिंख स्वरूब है भावन जय भव भयहारी
ओम हर हर हर महा हे
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