आँ
प्रस्तुत्री भीया
हम भोचपुरी गाय के लिवाला लिया दो
रह्या लोग के गोड चुक के गोड लगतानी
एह होली के मस्त महिना में ये जने के राजाजी
बहरा चल गल बाणानी
फोन के के कहतानी कि ये राजाजी
रह्या तब बहरा चल गली घर में देवर बड़ा उतपात के लिवा
का कहतानी कैसे
होली के बा मस्त महिना
होली के बा मस्त महिना
सईया बाड़ा सवधी
कैसे कहता आता है
आरे तू तबाड़ा होली में बहरा वाई राजाजी
मह जालेता घर वामें देवर वाई राजाजी
तू तबाड़ा होली में बहरा वाई राजाजी
कब हरी अरका कब डाल देता लाल का
कहेला की भौजी जो निराहल करा फरका
कब हरी अरका कब डाल देता लाल का
कहेला की भौजी जो निराहल करा फरका
तू धावा में डाले चाहे जो रणवाई राजाजी
महजाले ता घरवांगे देवा रवाई राजाजी
आजाते वरवा नाही मानेला बथिया
मेवा बलमुआ बतला कऊदी के ओरिया
जो निराहल करा फरका करा था तू धावा में डाल देवा रवाई राजाजी
तू ता बाड़ा होली में बहर वाई राजाजी
महजाले ता घरवांगे देवा रवाई राजाजी