तो आधरनी महर्वानों
एक बेहन
अपने भाई से कहती है कि मेरे भाई
मुझे बाबा के दर्शन करने जाना है
मुझे
जगराक्ते में से मत ना रोके
मैं उस गोगावेडी धाम को जाऊँगी
तो कवीन चार लाइन में किस प्रिकार से लेके आओँ
होरे माचये मन मत ना रोके
होरे मैं गोगावेडी जाऊँगी उस जाहर वीर के मैं दर्शन करने जाऊँगी
होरे मैं दर्शन करने जाऊँगी
थोटी ले पै तेरी बणी समाधी वो दुनिया
दर्शन को जारी रह दुनिया दर्शन को जारी
ओ न जोट होँ थे महिंमीर में तेरी लाळ धज़ैं लहिरारी
उत्जार वीर के उम्हे दर्सन करके आओ
वोली लेता जी की
असवारी जिससे जाने हैं दुनिया सारी
सारी रे जिससे जाने हैं दुनिया सारी
भाचलमा का लाल बताया,
तेरी महिमां सबसे न्यारी
भाचलमा का लाल बताया, तेरी महीमाँ सबसे न्यारी
और पीजरी बात में वो बहन कहने लगी कि तु ग्रां मूची को जा वो माराश
सिंग भगत जी है जिनकी थीन पीडी की गढ़ी है तो किस बिरकार से कहने लगे?
ओ महराश सिंग तेरा पण्या पुजारी
ओ जो गां में उची में रहता रहे
जो गां में उची में रहता
ओ
महराश सिंग तेरा पण्या पुजारी ओ जो गां में
उची में रहता रहे जो गां में उची में रहता
तीन पीडी की निकी गढ़ी जहां दुखियों का दुख हरता
तीन पीडी की निकी गढ़ी जहां दुखियों का दुख हरता
जहां दुखियों का दुख हरता
ये सारा गम तेरा नाम सुमरता
नाम उस जार वीर के ओ मैं
तरसन करने जाओ राए उस जार वीर के ओ मैं तरसन करने जाओ
याओ
काई तोत्र कि
पना खुछने जाओ वा सुममिल्स 2 ऒ度 पना रहीं दुखते हो रहे वो पनहीं
पालक दास गुरू की माया चकतु रग बीच मैं ढेरा
सत्पाल करता कविताई जन बाबा मन से तेरा
सत्पाल करता कविताई जन बाबा मन से तेरा
यब मैं पी वहाँ पे जाओ रे उस जारवीर के
यब मैं पी वहाँ पे जाओ रे उस जारवीर के
वो शब्शे दर्बार की