मैया मोरीकनहया की बाल लिलाओं में सबसे निटखट माखन चोड़ीउसी पर ये भजन सूरदाज ये निलिखाकनहया आज पड़ोस के घरों में जाते थे माखन चुरानेएक गोपी बड़ी चलातीउसने क्या किया था कि जहाँ माखन के मटकी टांग रखी थीउसी रसी से एक घंटी भी बांद रखी थीकि कनईया आएंगे, मटकी पोड़ेंगे, ये घंटी बजेगी, हम उनको बगड़ लेंगेकनईया पहुँचे अपने साथियों के साथ, देखा कि घंटी भी बंधी हुईसमझ गया कि ये गोपी अपने को बहुत चालाज समझते हैंतो घंटी को आदेश दिया, चुप रहना, बोलना नहीं, बिलकुल आवाज मत करनामेरे साथियों को भूख लगी है, सबको माखन खाना हैमटकी फोड़ी गई, कनईया के साथियों ने खूब माखन खाया, और घंटी चुपजब सब खा चुके, तो कनईया ने सोचा, थोड़ा मैं भी खा लूँजैसे ही जरा सा माखन मुख से लगाया, तो घंटी जोर-जोर से बजनी ले गयाकनईया ने कहा, ये क्या? जब मेरे साथी खा रहे थे, तो तुम चुप थीऔर मैंने जरा सा माखन खाया, और तुमने बजना शुरू कर दियाघंटी बोली, हमारे ठाकुर जी भोग लगा रहे हूँ, तो हम कैसे चुप रह सकते हैंहमारा तो काम ही यही है, कि जब भगवान भोग लगाएं, तो हम सारे ब्रह्मान्ड को बताएंबस आ गई गोपी, पकड़ लिया कनहिया को, ले गई यशुदा के मुझेओ यशुदा पूछ बैटी कनहिया, तुने माखन खाया क्या हैऔर कनहिया के मुख से अनायास निकल गयामैं नहीं माखन खायूमैं नहीं माखन खायूमैं नहीं माखन खायूइस भजन में क्या सच्चाई है, क्या वास्तुों का है, आप सभी जान देंकनहिया ने माखन खायामुख से निकल गया, मैंने ही माखन खायाकनहिया ने कहा, मुख से निकल गया तो क्या हुआअभी सिद गरते दे, नहीं खायाऐसे एसे तर्ख दिये मा को ऐसा समझायाकि अंत में मा ने कह दिया हाँ बेटा तुने मा करने कीसबसे पहला तर्ख दियाकहना लगे मा यू तुमने सोचा कैसे मैंने माखन खा लातुम्हें तो मालूब मैं कितने काम है मेरे बाससुबह से शाम फुरसत नहीं मिलतीगोर भायो गई अनके पाछेतुने मधु बन मोधी पठायोचार पहर पंशी बट भट क्योसांज परे मैं घर आयोदिमया मोरी मैं कब माखन खायोमैं या मोरी मैं कब माखन खायोयहां दो समय का वर्णन हुआ है भूर और सांजहमारे भारती शाल्सी संगीत मेंअलग अलग समय के अलग अलग अलगमौसम तक के राजतो भूर सुनिये भूर की रागराग भैरवसांज राग यमन कल्यानशायद आपको समय का आफ़ास होगाभूर भायोभूर भायोभूर भायोभूर भायोगईयन के पाठेतूने मरूबन मोही पाठासन्ने बर्गास्वर्प बर्गाचार बाहरबंशी बट भट क्योसांज परे मैं भर आयूमैं कब माखन खायूमैं कब माखन खायूकोई असर नहीं मापता हूँकनईया ने दूसरा तरक दियाकहने लगे मा ज़रा ध्यान से सोचो माखन कैसे खा सकताइतना छोटा सा बालक हूँ छोटे छोटे हाथ पेर मेरेअब माखन कहां टांग के रखतेमैया मोरीमैं बालक बहियन को छोटूमैं बालक बहियन को छोटूये छीको किस विदी पायोमैं बालक बहियन को छोटूपर बस मुख लपटायो निमैया मोरी मैं नहीं नहीं नहीं माँखन खायोनिमैया मोरी मैं नहीं माँखन खायोनिमैया मोरी मैं नहीं नहीं माँखन खायोमेरी मैया अरी प्यारी मेरी मैया अरी भोली मेरी मैया सुंदर सुंदर मेरी मैया प्यारी प्यारीमेरी मैया कैसी न्यारी मेरी मैया अरी हो मेरी मैया अरी हाँ मेरी मैयामैया तू जननी मैया तू जननी मन की अति भोलीइन के पति मेरी मैया पति मेरी मैया पतिकहे पति आयो री मैया मूरी इनकेकहे पति आयोमैया ये ले अपनी लगुटी कमबलियातूने बहुत ही नाचना चायोमैया मूरी मैंने ही माघन खायोकहने लगे मा मैं समझ गया बात क्या हैये माघन की तो बाती नहीं हैये माघन का तो तुमने बहाना लियातुमारे मन में क्या है न जान लेकहने लगेमैया मूरीमैया जिया तेरे कुछ भेदू पज़ हैजिया तेरे कुछ भेदू पज़ हैतूने मोहे जानो परायो जायोतूने मोहे जानो परायो जायोसूरदास तम दी हसी जसोदाले उरकंथ लगायोमैं नीर भरियायोमैं नीर भरियायोकनया तेरेतै नहीं माँखन खायो कनहिया मुरेतै नहीं माँखन खायो ओ लल्ला मुरेतै नहीं माँखन धायोकल्पना कीजे क्या दृश होकनहिया और नहियादोनों गले से लगें आंसू बहारेंदोनों जानते माँखन खायाऔर दोनों कहरें माँखन नहीं खायाकनहिया ने देखा । तो मा मान गही अब छूठ बोलने से क्या फायदाचमत्कार देखी शब्दों काकनईया ने अपने इन ही शब्दों में सुलकार कियाअभी तक मां कहे रहे हैकनईया तै नहीं माखन खायोकनईया कहे रहे हैमैया मैं नहीं माखन खायोऔर अचानककनईया ने मां के आँसू पुषेऔर मुश्कुराते थोड़े कहने लगेओ सुन मय्या मोरीसुन मय्या मोरीमैने ही माखन खायोसुन मय्या मोरीमैने ही माखन खायोसुन मय्या मोरीमैने ही माखन खायोसुन मय्या मोरीमैने ही माखन खायोसुन मय्या मोरीमैं नहीं माखन खायू सुन्दैया मोरीमैं नहीं माखन