इसी लिए हर्जी भाटी ने हमें इस प्रकार से कहा है
और इस भजन में ऐसा कहा है
एजी कल युग में प्रभु महिमाय पार और यब तो वर्णी न जाय
और एरजी करूँ यज माल रा तो आजो राज कुमार
मैं हूं दास तुमारो रामा
मैं हूं दास तुमारो ही
महिमाय नन्त वर्णी नहीं जावे ना बानी थुकारो जी
सकल जगत के तुम हो दाता तुम हो तिर जनहार जी
आप हे माता आप पिता हो आप खोटम परिवारा जी
आप ही सकल जगत उप जाया चार बनी विस्तारा जी
आप ही नाना भोग बनाया आप ही पालन हारा जी
आप ही चारो बेद जाया खोल्या ज्ञान का द्वारा जी
आप ही चार सुनो भगता जी आप ही कश्चन वारा जी
मैं हूँ दास तुमारा रामा मैं हूँ दास तुमारा जी
मैं माय अनंत बरनी नहीं जावे ना बानी फुकारा जी
हार जी भाटी सरनो में आयो की जो भव जल पारा जी
हार जी भाटी सरनो में आयो की जो भव जल पारा जी
हार जी भाटी सरनो में आयो की जो भव जल पारा जी
मैं माय अनंत बरनी नहीं जावे ना बानी फुकारा जी
मैं माय अनंत बरनी नहीं जावे ना बानी फुकारा जी
मैं माय अनंत बरनी नहीं जावे ना बानी फुकारा जी