मैं हूँ हिमाले परबत
मैं हूँ हिमाले परबत
नजरों से देखा बहुत कुछ है मैंने
बदलते हुए रहने
रंग जमाने के मैंने
मैं हूँ हिमाले परबत
बहुत ही पुराना
खबर है मुझको
देखा है मैंने
जमाना
ये जन्नते कश्मीर थी
पानी ही पानी
तूफानी लहरों की
भर सूरवानी
रहते थे चोटियों पे
पिशाच और ना
अजब उनका रहना
अजब उनके रात
वादम लार
वादम लार
अचानक देव खतरनाक
खाने लगा उनको
बरसाने लगा
हट गया एक पहाड पानी
हो गया जारी
जमी आई निकल
गुल्जारी
आर हुई वादी सारी
मैं हूँ हिमाले परबत
मैं हूँ हिमाले परबत
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