फिर एक हो इसे वो रात वो कहानी कल की
आए याद क्यों आज फिर नशे में तू और मैं भी
सबसे नजरों को चुरा के हम जब मिले साए तेरे मेरे थे तो
जो घुल गए बूंदों की धुन थी और हम तुम
बाहों में पिगले थे गुम बस मैं और तुम
मैं और तुम जैसे पाथ शो में भी गी खाईशें
जो खाब बन की जुल गे
मैं और तुम जैसे आसमा में उड़ते हैं परिंदे
जो राती घर न लोटे
तेरा ने ता वो बाल सा पल्सा बीता वो कल साकल सा
तु क्यों है यार लम्हा लम्हा तु
तेरा ने ता वो बाल सा पल्सा बीता वो कल साकल सा
तु क्यों है यार लम्हा तो
तेरी चाहतों की राथ, आज भी और कल भी, तू है पास फिर भी यूँ, दूरिया है क्यूं, हाँ तू कह भी
तू जो कहते तो भुला के, दुनिया को मैं, तुछ को तुछ से ही चुडा के, आज छूलू मैं, बूंदों की धुन है और हम तुम, बाहों में पिगले हो हुम, बस मैं और तुम
मैं और तुम, जैसे पादशा में भी खाईशे हैं, जो खाब बन के सुलगे,
मैं और तुम, जैसे आसमा में उड़ते, परिंदे, जो रात भर न लोटे,
लबूं को है तालाश यूं, वो प्यास में जैसे सुखूर,
न मिल,
चल सके वो खाब क्यूँ, मैं और तुम, मैं और तुम,
मैं और तुम, जैसे पादशा में भी खाईशे हैं, जो खाब बन के सुलगे,
मैं और तुम, जैसे आसमा में उड़ते, परिंदे, जो रात भर न लोटे,
तेरा में तक,
वो पर्सा पर्सा भिता
वो कर्सा पर्सा तो क्यों हया
लम हा दू तेरा भिता
वो पर्सा पर्सा भिता
वो कर्सा पर्सा तो क्यों हया
लम हा
लम हा