ए भाईया एक कहानी यो लईका के हो जे कर्मतारी पैसा के अभाव में भीथ मांके छट करतारी उलाईका सबके दौरा फल फल हारी से भरल देखता जब अपना मतारी के खाली दौरा देखता ता छठी माई से रो रोके कहता के सुनमाई माई
आरे कोरतु बानी जाता ना सपरतु बाटे हे गरीबु से कहिया दूदू होई माई दुखावा ना शीवु से
आरे कोरतु बानी जाता ना सपरतु बाटे हे गरीबु से
हारे कोरतु बानी जाता ना सपरतु बाटे हे गरीबु से
कहिया दूदू करबुमाई दूखावा नसीब से
आदे पैसा पाले कहूँ नहीं खेता वो बरत रह करत भिया
मानी के भिखिया ए छठी महिया माई मूर को सिया भरत भिया
मानी के भिखिया ए छठी महिया माई मूर को सिया भरत भिया
गज़ाब के महमी भाईल वाल
महना फलफल हरिया महना बहमी भाईल वा
गज़ाब के महमी भाईल वा
अरिखवनु फलावा सस्ता नैखे मायी वो बाजार में
देखा दौरो भरल मैं नैखे तानु सोःाजार में
देखा दौरो भरल मैं नैखे तानु सोःाजार में
जो बहुत चूट लूँ है माई वृद्या परावर धरत भिया
माई मुद कुशिया धरत भिया
माई मुद कुशिया धरत भिया
माई मुद कुशिया धरत भिया
माई मुद कुशिया धरत भिया
माई मुद कुशिया धरत भिया
मुद कुशिया धरत भिया