बाबा राम शिंग से कहे दो कि पाँच दिन का टाइम आपका दिला दे
हमने कहा बाबा के पाउं पकड़ लो जब तक हाँ न करे तब तक पाउं छोड़ना मत
बाबा के पाउं पकड़ेंगे वो
मैंने सोचा बाबा को फ़साओ हम क्यों चक्करम फ़से
मैं तो बाबा हां कर देगा तो फिर मैं तो बाबा बाबा में कनेकशन होता है मैं भी बाबा वह भी बाबा और दोनों
बाबा goog बाबा जब मुझे पुकरेगा तो दोड़ कर आ जाएगा यह बाबा अमनी आजाएगा कि बाबा का प्रयास कहोता है
वास्तव में यदि बच्चे शोरगुल मचाते हैं उनको भी मना करना पड़ेगा कोई आवाज न करें राम सिंह बाबा का
सुभाव बहुत अच्छा है आप देखते हैं न शांत सुभाव है और उनको तसली भी बहुत है और प्रेम भी बहुत है
कोई उनके अंदर मान मान कुछ ही कि आज में उनको कहा माला पहना रहा हूं पहने रहने कि निकालना में तो बोलिए
पूरा टाइम पहुंडा है मैंकर पूरा पहने रहना है तो दूसरा फिर पहनाओंगा वृत्यी घ्र
अच्छा लगता है
हम बाबा का आदर करते हैं
बाबा से प्रेम करते हैं
और कल यहां का जो भंडारा हमने देखा भंडारी शाहर
बहुत सुन्दर हलवा, चावल और दाल, सबजी
बड़े प्रेम से लोग खा रहे थे
भंडार बनाने वाले सब भंडारी गन बड़ी शर्द्धा से बना रहे थे
और भोजन से खुश्बू आ रही थी, शुगंधूट हुई थी
थोड़ा हलवा मैंने भी परोशा लोगों
देखे परोशना चाहिए
ऐसे तो मेरा मन था मैं ज़्यादा देर परोशूं
पर मुझे जाना था दूसरे गाउं साले वाला
नहीं तो मैं तो एक घंटे भी परोश दूँगा
मुझे परोशने में ठकान भी नहीं आती, सरम भी नहीं लगती
फटा फट परोश दूँगा, उसमें कौन खास बात है
गतवर्ष मैंने कोटा आश्रम में राजस्थान, मेरा कोटा आश्रम में वहाँ दाल बाटी बनी थी
एक हजार लोगों को मैंने बाटी अकेले परोश दिया थी
हम काम बहुत जल्दी करते हैं, हम ढीले आदमी नहीं हैं, छलांग लगा देते हैं
दोड़के चलने वाले को और शरीर को भी संभाल कर रखते हैं
ब्यायाम करना, योगा करना, पेदल चलना, कम खाना, ज्यादा माल न खाना
ऐसा नहीं हलवा वलवा हम बस आला चम्मच चकते हैं बस
शावधान, नहीं तो पता चले डेड़ कुंटल वजन हो जाओंगा
शावधान रहना तड़ेगा, भावा, पटिल सार, सही बाल है
और यहां के लोग इतना प्रेम से भोजन प्रशाद, महा प्रशाद ले रहे थे
मैं देख रहा था, ऐसा मन होता था मैं भी पंगत में बेट जाओंगा
थोड़ा खालू क्या उसी, बहुत प्रेम से, और ये दाल, ये चावल, ये हलवा
तो हमेशा तुम घर में खाते रहते हो, बजार में खाते रहते हो
रोग व्याधी भी मिठ जाते है, दुख भी दूर होते है
इसलिए महा प्रशाद सब को ग्रहन करना चाहिए, लेकिन
महा प्रशाद छोड़ना नहीं चाहिए, अपने पतल में, थाल में
पूरा खा लेना चाहिए, और बहुत ज्यादा भी लेना नहीं चाहिए
जितनी भूँख उतना लो, क्योंकि जब महा प्रशाद तुम
पतल में छोड़ देते हो, और फेक देते हो, तो महा प्रशाद का
रूप बदल जाता, फिर वो खाना बन जाता है, और जब तुम ज़्यादा
खा लेते हो, तो महा प्रशाद नहीं रह गया, फिर वो भोजन
बन जाता है, महा प्रशाद भूँख से ज्यादा मत खा दे, और पतल
में भी मत छोड़े, और शांती से लाइन में बेट करके, जब सबको
पारस हो जाए, सबके पतल में, सबके ठाल में, चावल पहुन जाए, दाल
पहुन जाए, सबजी पहुन जाए, हल्वा पहुन जाए, खीर पहुन जाए, जो भी
है, सम, उसके बाद जब एनाउंस हो, कि हरी हर पंगत प्रारंब हो,
तब पंगत शुरू करना चाहिए
देखिए यह हमारे आश्रम की पंगत का
द्रक से दिखाया जा रहा है
आप देख लिजी यह स्क्रीन में
यह हमारे आश्रम में
भंडारा चल रहा है
स्क्रीन उदर लगी है
उदर भी है
इदर है
है इधर कोई उठा ले गए कि है एक बार और दिखा दो दिखाओ दिखाओ यह देखो यह देखो पंडित जी खा रहे हैं
हां देखिए देखिए यह पंगत हुआ था कि यह व्यवस्था यह देखिए पुलिस जवान यही को माल छटे की है
बाद आफ भन्दारा में अगर चावल है वह भी माल ही है समाल पुह हुआ
उसका तो एक कण भी हमारी लिए धन्य है
महा प्रसाद लेना चाहिए
सब को लेना चाहिए
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