मेहल मेरा बनबाती तो भोले
परबत पर रुत पाओं में
ना माने मेरी
बात जो भोले
अपने पीहर जाओं में
सोनी का हो मेहल अनूखा
सब दनिया से नयारा हो
सब दनिया से नयारा हो
चारो करब हो पानी पानी
मेच मेहल हमारा हो
पानी की जानी भी हो सोनी की हावा रोज की थाऊं में
मेहल मेरा बनबाती तो भोले परबत पर रुत पाओं में
बिशो करमा से बनबा नत्षा वो ही मेहल तयार करें
वो ही मेहल तयार करें सारे तुनिया राजी हो जा अदबद ऐसा शिंगार करें
मेहल की चट पर चड़ के भोले रोज के खल के आऊं में
मेहल मेरा बनबाती तो भोले परबत पर रुत पाओं में
दीन लोक के नाथ तुम ही हो तुम से बड़ा कोई दानी ना
सब कुछ आप जानते होले बात कोई भी छानी ना
जानते होले बात कोई भी छानी ना
बास कलास भी बन के चाकर
सेवा तारी रोज करें
सेवा तारी रोज करें तेरी किरपा से भोले जिन गुनिया सारी मोच करें
पहले मेरा बन बाती तो भोले फरबत के रुत्पा हूँ में
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