महाकाल बोले बंडारी हे शंबूत्रि शूलदारी
इनो लोक में लेदा बंडारी जाना दे
शंबूत्रि शूलदारी इनो लोक में तेरा है डंका साया रे
सुष्टी तुझ में आदी नारी कापे है दुनिया ये सारी
तेरे नाम पे भोले मैंने गीत गाया रे
अलके ये तो हाने वाला गरता तेरी महिमा है
तो पिंस का कहना तेरे जैसा कोई कहना है
तु बोला तु सिव है तुरी शूल त्मारी है अगोरी
आपे ना जपके बलबर दुम्या तभी तो चैन से सोरी
मुझ मैं है संकरवसता तेरा ही पकड़ा रस्ता
रस्तेएपे चलपड़ा जहां डरता ये संसार सारा
संसार राक वनेगा चिस तिन तुस को चड़ गे बाला
बाले को धंड़ा कर क्यों रतिया परपर कोप ठारा
तेरे पर कोप सिदम में भसरंग दे कुछ दीया सहारा
ए शम्भूम
सहारा मुझको दे तु राक करूँगा
श्मनुपो चला खाक करूँगा
कापी में गुंडे बसते गुंडो पर मैं राज करूँगा
ना चहिए कोड कत्यारी नर्च से इंसाफ करूँगा
पित्वी का तू जिरजनदारी तुछ से इसका अंत भी होगा
नाम तेरा जोजबे भंडारी पापी के गर संत भी होगा
जो बनकी बैठा राजा देखना कल को रंक भी होगा
दुनियान ने जुदरी जल्दी तो रावन होगा कंस भी होगा
अजिकल के बच्चे भड़कें बोलें कोई भगवान नहीं होता
मैने तो देखा तुझ को यहां कोई इंसाफ नहीं होता
दुनिया के पापी गरे से पानी उपर आया रे
महाकाल भोले भंडारी एजंबूद्र जूलरारी
इन लोक में तेरा है डंका चाया रे