रोज निशाखोर दीने रात भोर निशाते ही कोरे दैपार, से निशाए पड़े फेले राखे दूरे तार प्रियो शंशा
छेले मेबो नही तार केओ, से आपन सुधुई निशार, से तो आछे विष्टार घोरा शेष, निशार जो तो आछे ओली गोली
आशुन मादो के ना बोली
मद पे थीरिन, गाजा हीरोहिन, रोज रोज चाई तार चाई, है शे माताल, करे गाला गाल, बाबा के उडे के फेले भाई
निशाए बेहुष, पचे पुष फूष, लिभारे ओ रोग ने ठाई, एभाबे निशाए पड़े कत पुल जाए ज़ोरे होय जाए निशार बोली
आशुन मादो के ना बोली
मादो को बेपशाई, औराई तो बेशी दाई, एशमाज धंशेर मुले, छेले मेदेर हाते, औराई तो दिने राते, सतो सतो निशा दाई तुले
मदगाजा बेचे, औरा होय जाए हाती घोरा, कलागाच होय जाए अंगुल फुले, अदेर फांदे पुरे, कतु जे मानुष मरे, घोट जाए जिवनेर जलां जली
आशुन मादो के ना बोली