مدین گیا तो फिर आओंगा नहीं
किसी भी बाहाने रह जाओंगा वही
मदीन गया तो फिर आओंगा नहीं
किसी भी बाहाने रह जाओंगा वही
मदीन गया तो फिर आओंगा नहीं
जो तैपा नगर से आते हैं
उस शहर की बात सुनाते हैं
जो तैपा नगर से आते हैं
उस शहर की बात बताते हैं
दिल ठाम के हम रह जाते हैं
सजदे से ना उठूँगा मिल जाए वो जमी
मदीन गया तो फिर आओंगा नहीं
मधीन गया तो फिर आओंगा नहीं
अब उन के करंब की बात करो
एक पहर नहीं दिन रात करो
बस यूही बस रे हयात करो
उस दर को छोड़ करके ना जाओंगा कही
मधीन गया तो फिर आओंगा नहीं
हर एक सवाली कहता है रभून के करंब से देता है
रहमत का दरिया बहता है
जोली बर देंगे आखा है मुझे को यकी
मधीन गया तो फिर आओंगा नहीं
एगर दिशे दोरा सुन ले जरा
मैं कहता रहूंगा सल्ले अला
मेरा विर्द यही है यही दूआ
इस जिकरे के सदके मैं जाओंगा वही
मधीन गया तो फिर आओंगा नहीं
वो लोग भी कैसे होते हैं जो उन गलियों में रहते हैं
इस हास पे हम भी जीते हैं
मुझे अब तो बुला लो एसर वर्दी
मधीन गया तो फिर आओंगा नहीं
बू बकरों मर उसमानो अली सरकार के बेटे होस जली
है सब का रस्ता उनकी गली
दरबार है उनका ऐसा हसी
मधीन गया तो फिर आओंगा नहीं
एक शायर का नजराना है जो उस दर तक पहुंचाना है
कहो किसने मधीने जाना है
तेरी सुन लेंगे आका ऐनासीर हदी
मधीन गया तो फिर आओंगा नहीं
किसी भी बाहाने रह जाओंगा वही
मधीन गया तो फिर आओंगा नहीं
किसी भी भी बाहाने रह जाओंगा वही
मधीन गया तो फिर आओंगा नहीं
किसी भी भी बाहाने रह जाओंगा नहीं