दीपक दिलकश
गाराजी गाराजी देवा
परिसेले ओरिये ओरिये मदु चूए
पाके गगन में
बीजुरीयाता मननाही धिरधारे
ओरिये ओरिये मदु चूए
ओरिये ओरिये मदु चूए
परिसेले उमारी मेगे
बरसेले आधित कैसे जाई घाटे
पवा बीच्छा लावेलाड़ो गरीयाता मन मोरा लगे ढ़रे
ओरिये ओरिये मदु चूए
मारे केलाहरे बोहे गंगा
पनीयां धुखलती वाई
मधुर बोले
पने साने बहेले पावाना देवता घुआ के ना दिया जारे
ओरिये ओरिये मदु चूए
भाखले भाखलती बापूर आई कैसे सर्धावा घाटे आई कैसे
धेनाही कवानो उपयान
पुछाऊ न जर आबे