शामान बसो
वृंडावन में
मेरी उम्र बीट गई गोखुल में
शामान बसो
वृंडावन में मेरी उम्र बीट गई गोखुल में
तेरी दीद का मारा तरस जहा
बस तुम ही हो मेरे तनमन में
शामान बसो वृंडावन में
मेरी उम्र
बीट गई गोखुल में
मेरी प्रच्ण करे क्या माधव मेरा रूट गया मैं तो ठक गया चलता चलता
स्वं तुम ही मुझ मिलने आओ अपने पत्से भटक गया अपने पाठ को रह दिखाओ
वैसे तो तुम कंकं में पर मुझ को कहीं भी नदर न आते मनमोहक
अपना ये चहरा प्रभुजी मुझ को क्यों न दिखाते हरमकरम के
चक्कर में उलज़ासा मैं फिर रहा भटक रहा मंजिल से अपनी नातों
से मैं घिर रहा क्या करूँ मैं कहां जाओं कुछ समझन मुझ को
मैं रत पे अकेला खड़ा माधव तेरी राह मैं ताक रहा माधव
कब आओगे मुझ से मिलने मेरा मन नहीं लगता गोकुल में
शामान बसो विंदावन में मेरी उम्र बीट गई गोकुल में
तेरे प्यार का मारा तरस रहा बस तुम ही हो मेरे तनमन में
शामान बसो विंदावन में मेरी उम्र बीट गई गोकुल में
जब करूँ या तप करूँ या वरत करके तुमें बुलाऊं
कल्यूक के इस दोर में मारग दर्शन किस से पाऊं
काम क्रोध का चक्र विवु ये मुझसे अब तोड़ा जाताना
कौन अपना और कौन पराया कोई मुझको ये बतलाताना
दुनिया भी अब देती ताने माधव तेरा आयाना
मो माया के बंधन से क्यो उसने तुझे बचायाना
परवत पानी में फूलगया उदेशम अपना मुझको बोध
कराओ तुम ओन अपना कौन पराया मुझको सब समझाओ तुम
कोन पर आया मुझको सब समझाओ तुम
मो माया का भटका बन्दा तेरे दर्पे आया है
इतना जान चुका हूँ माधव तेरी ही सब माया है
प्रभुजी मेरी प्यास बुजाओ तेरे दर्शन की प्यास में हूँ
मैं अर्जुन भटकासा अपने माधव की तलाश में हूँ
शामान बसो वृंदावन में
मेरी उमर बीट गई गोकुल में
तेरी दीद का मारा तरस जाहा बस तुम ही हो मेरे तनमन में
शामान बसो वृंदावन में मेरी उमर बीट गई गोकुल में
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