मांगे ना मांगे भीक ये मर्जी पकीर की
बिन मांगे मिल रहा है मुहम्मद के शहेर में
मांगो आका से मधीना मांगो आका से
जो जी चाहे वो ख़दीना मांगो आका से
रभ के ख़दानों के मालिक हसनें कि ना ना जा
मांग रहे हैं जो इन से वो चड़ते हैं परिवान
तुम भी बिन मांगे ना जीना मांगो आका से
वो दिन भी हो पास बुलाएं हुम्मद के लज़िपा
आखों के अरेमान सुनाएं रो रो अपना हाल
ऐसा दिल नैसा महीना मांगो आका से
शाहिद आलम के पदमों में अपना ठिकाना हो
और लबों पे उनकी सना का जारी तराना हो
योही जीने का करीना मांगो आका से
दूर दुखों के मारे हैं हम, कौन हमारा है
शहिर तैबा ही में अपना एक सहारा है
जाएंगे तैबा सबीना मांगो आका से
मांगो ना दुनिया की दालत शहिर तो है बेका
जगमग करते हो जिसमें सब नातों के अशिया
वो रोशल महरान सीना मांगो आका से
जो जी चाहें वो ख़जीना मांगो आका से