मैं बिनोदराई आप सभी भोजकुविया स्रोतागन को मेरा प्यार भारा नमसकार
और यह पावंच्छट परव का धेर सारी सूप कामनाएं
इस गीत को बड़े बड़े दिग्जोनें गाया है
पर मेरी एक चोटी सी कोशिस आप सब के लिए
वासा के दो रासा जाये के
माई सब छथ घाट जाये
माई सब छथ घाट जाये
के
चाची सब छथ घाट जाएं सूप वामे नारियल सजाए के चाचा सब माथे पर ले जाये
जे कारी छटी के बारतीया
ओकर सब दुख हर जाए
सुरुजदेव के
सांजी बिहनवा दुध से रग दिलाई
वासा के दोड़ा सजाए के माई सब छट घाट जाए
माई सब छट घाट जाए
परवेतिन सिंदूर लगाए के रहिया में डण देले जाए
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