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सद्धि ने कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण प्रमात्मा है क्या भगवान श्रीकृष्ण
प्रमात्मा एक बार प्रेम से जयकारा लगा राधी-राधी जोर से कहेंगे राधी-राधी
कि दो अंगुल रसी कम क्यों पड़ती है
है मां यशोदा बाल कृष्ण प्रभु को उखल में बांधती है बांधने का प्रयास करते हैं घर की सारी रसियां
लेकर बांधने लगी तो दो अंगुल रसी कम पड़ गई क्यों आचार जन कहते हैं भगवान श्री कृष्ण ब्रह्म है
है और यशोदा जीव हैं तो जीत परमात्मा को बांधना चाहता है लेकिन � season जीव की पास परमात्मा
को बांधनी का जो साधन है ना वह कम है छोटा पड़ जाता है कितना छोटा आथ दो अंगुल और यह दो अंगुल में
1 कमी
1 अंगूल की कमी
भागवान की ओर से होती है
और 1 अंगूल की कमी जीव की ओर से होती है
यशोदा की ओर से
अब ये क्या कमी है
भागवान की ओर से
1 अंगूल की कमी
यह है कि भागवान
जब तक बंदने को तयार
नहीं होंगे तब तक जीव भगवान को
बालने कर सकता
परमात्मा है वो ब्रह्म है
तो ब्रह्म को जीव तब तक बालने
कर सकता जब तक स्वेम भेम बंदना
नहीं चाहिए
सज्जनों
कठो पनीषद में आया है
वेदों में कठो पनीषद में वरणंव
कि परमात्मा को आप प्रवचन करके किसी भी साधन से बांध नहीं सकते
अच्छा प्रवचन करने आता है तो अच्छा प्रवचन कर संग कर लेंगे
लोग ग्यस्णा मिल जाएगी धन समपत्ती मिल जाएगी मान वड़ाई मिलेगी
लेकिन भगवान मिल जाएंगे
इस बात का कोई
वरोसा नहीं
कोई गारंटी नहीं
ये तो कला है जिसे ये कला होगा वो बोल लेगा
भगवान कैसे मिलेंगे
क्या बुद्धि से भगवान मिलेंगे
न मेधया भगवान
बुद्धी से भी परे है
है अगर आप अपने आपको बहुत बुद्धी मां समझी कर सोचते हों कि भगवान को पालोगे प्राप्त कर लोगे तो अपनी
बुद्धि अपने पास रखो ना मेधया भगवान को बुद्धि से भी नहीं प्राप्त किया जा सकता जाता है व्हेदों में कहा
करना चाहते हैं वही उन्हें जान पाता है और यशोदा किसी ब्रह्म को बांधना चाहते हैं रस्सी से रसी का एक
नाम है दूंढु को यह शोधा ही जी व्हापण गुण से परमाद्मा को बांधना चाहते हैं जो परमाद्मा
पर ब्रह्म परमेश्वर को परमात्मा को आपकी सीमित गुढ़ बांधने ही सकते हैं कि अनंत गुढ़ संपन्न परमात्मा
को बांधने के लिए तो अनंत गुढ़ चाहिए वह परमात्मा खेल ह testimony को लेश ओः करते कारोणिय गांभीर यदंग
दहार्य शोर्य पराकरम ये सब अनन्त गुड़ों से संपन्न है
और अनन्त गुड़ों से संपन्न परमात्मा को बांदने के लिए
आपके पास अनन्त गुड़ चाले
सज्जनों
भगवान कब बंधे
जब माता यशोदा ठक गई
अरे कनहिया
तेरी कमर हे की कमरा
सारी रसी छोटी पड़ गई
और ठख गई
पसीने से लटपत हो गई
हार गई सारा बल समाप्त हो गया
सारा अभिमान चूर हो गया
तो भगवान को
कैसे आप बांद सकते हो आई बात समझ में
चाहे आपके भीतर
एक भी गुण ना हो
चाहे आपके भीतर सिर्फ अवगुण हो
लेकिन जब अभिमान समाप्त हो जाएगा
भगवान की शरण में चले जाओगे
तो वह परमात्मा अपने आप बंध जाएगा
भगवान की शरण में आते ही परमात्मा स्वयं बंध जाता है
अगर कोई गुर्ण नहीं है तो भी वह परमात्मा बंध जाता है
और बाल कृष्ण प्रभू को मैया ले बांध दिया
सज्जनों जब बांधा है तो बाल कृष्ण प्रभू द्वार पर दो व्रिक्ष खड़े हैं यमलार्जुन के
अशोक के व्रिक्ष
यह कुबेर की पूर्व जनम के पुत्र है जो नारक जी के शाप से शापित हैं और यमलार्जुन के व्रिक्षों
हो गए गुटमन गुटमन चलकर दोनों व्रिक्षों के बीच में बाल कृष्ण प्रभू ने कोहनी का इसपर्श कराया
और दोनों व्रिक्ष पूटकर घड़ाम से धर्ती पर गिरे चकना चूर हो गए दो महाफुरुष निकले नल कुबर और मड़करिव
जो कुबेर के पुत्र थे भगवान को प्रदाम किया इनका उद्धार किया कनया ने बोलो कृष्ण कनया लालिती प्रेम से बोलो राधी राधी
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