सजनों बताते हैं एक बहन बहाई का लाड़ प्यार प्रेम अनोका होता है
लेकिन जब पीहर में माँ बापू मर जया और फेर वो बहाई
भी उस बहाण के साथ परायद ऐसा व्यावार करने लग जाता है
तो ऐसी ही एक दुख्या बेहन कैसे अपने
दिल का हाल बता रही हैं सुना रही हैं
आएए एक भजन के माध्यम से
मां की गैला पीहर हो से
बीरा माँ बापू के मरते ही तू कदर भूल क्या बहाणा की
बीरा माँ बापू के मरते ही तू कदर भूल क्या बहाणा की
मां की गैला पीहर हो से कहावत मान सिचाना की
बीरा माँ बापू के मरते ही तू कदर भूल क्या बहाणा की
बीरा माँ बापू के मरते ही तू कदर भूल क्या बहाणा की
बाजबण में गोध खिलाया वो भी तैना याग रहा
मां के जितने इच्छत थी वाराख बने समसाणा की
बीरा मां बापू के मरते ही तू कदर भूल क्या बहाणा की
एक रूख के चार परिंदे तो उड़के तो उड़े नहीं
एक रूख के चार परिंदे तो उड़के तो उड़े नहीं
बाहन परिंदा कैसी हो से मन के पन्ने पढ़े नहीं
मां होती ते पढ़े लेती इब रह गी बाते उलाणा की
बीरा मां बापू के मरते ही तू कदर भूल क्या बहाणा की
बीरा मां बापू के मरते ही तू कदर भूल क्या बहाणा की
जामनाले बिन बेटी का
जाड़े कोई ना जामनाले बिन बेटी का जाड़े कोई ना
आज रोये से नैना जितने पहला रोये ना वाहे दिन्दा रही नहीं थी
प्यारी दिन के प्राणा की
बीरा मां बापू के मरते ही तू कदर भूल क्या बहाणा की
जिसने अपना समझा करती
धर भी राना हो गया रे
जिसने अपना समझा करती
बीरा मां बापू के मरते ही तू कदर भूल क्या बहाणा की