बोलिए दुर्गा माता की जैए प्रिये भगतो नवरात्री के छटे दिन माता कात्याइनी की पूजा अनुस्थान आराधन की जाती है उनका वरत किया जाता है
ये छटा दिन माता कात्याइनी की नाम होता है
तो बोलिये माता कात्याइनी की जै
चंद्रहा सोज्ज्वल कराज शाइल वरवाहना
कात्याइनी शुभं दधा देवी दानव घातिनी
बोलिये कात्याइनी माता की जै
मा दुर्गा के छटे स्वरूप को कात्याइनी कहते है
महर्शी कात्याइन की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर
उनकी इच्छा नुसार उनके हाँ पुत्री के रूप में पैदा होई
हुई महर्षी कात्यायन ने सर प्रथम इनकी पूजा की थी इसीलिए यह कात्यायनी के नाम से प्रसिद्ध हुई
कि मां कात्यायनी अमोग फलदाईनी हैं दुर्गा पूजा के छठे दिन इनके स्वरूप की पूजा की जाती है इस दिन
स्थित मन वाला साधक मा कात्याइनी के चर्णों में अपना सब कुछ निउचावर कर देता है
भक्त को सहेज भाव से मा कात्याइनी के दर्शन प्राफ्त हो जाते हे
इनका साधक इस लोग में रहते हे भी अलोकिक तेज से युक्त हो जाता है
नवरात्र में छटे दिन मा कातैनी की पूजा की जाती है
इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से
अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ती होती है
उसके रोग, शोग, संताप और भै नष्ट हो जाते हैं
जन्मों में समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं
इस देवी को नवरात्र में छटे दिन पूजा जाता है
कात्य गोत्र में विश्व प्रसिद्ध महर्षी कात्याइन ने
भगवती पारांबा की उपासना की, कठिन तपस्या की थी
इसलिए देवी कात्याइनी कहलाई
इनका गुण शोध कारिय है
इसलिए इस वैज्ञानिक युग में कात्याइनी का महत्व सरवाधिक हो जाता है
इनकी कृपा से ही सारे कारिय पूरे हो जाते हैं
ये वैदनात नामक इस्थान पर प्रगट होकर पूजी गई
मां कात्याइनी अमोग फलदाइनी है
भगवान कृष्ण को पती रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने इनही की पूजा की थी
यह पूजा कालिंदी यमुना के तक पर की गई थी
इसी लिए ये ब्रज मंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित है
इनका स्वरूप अत्यंत भव्य और दिव्य है
ये स्वर्ण के समान चमकीली और भास्वर है
इनकी चार भुजाएं है
दाएनी तरफ का ऊपर वाला हाथ अभेमुद्रा में है
तथा नीचे वाला हाथ वर्मुद्रा में है
मां के बाए हाथ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है
वह नीचे वाले हाथ में कमल का फूल सुशोभित है
इनका वाहन भी सिंग है
इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी सरलता के साथ अर्थ, करम, काम और मोक्ष चारों खलों की प्राप्ती होती है
इनकी रोग, शोग, संताप और भै नष्ट हो जाते हैं
जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं
इसलिए कहा जाता है कि इस देवी की उपासना करने से परमपद की प्राप्ती होती है
तो बोलिये माता कातैनी की जैहो, जैहो, जैहो
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