बोलिये दुर्गा माता की जैप्रिये भग्धो नवरात्री का साथवा दिन होता है माता कालरात्री के नामक्योंकि इस दिन मा कालरात्री की पूजा आराधना, अनुष्ठान और व्रत किया जाता हैऔर भग्ध उसे करकर अपना कल्यान कराते हैतो बोलिये माता काल रात्री की जैमा दुर्गा के सात्व स्वरूप को काल रात्री कहा जाता हैमा काल रात्री का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक हैलेकिन वो सदेव शुब फल देने वाली मानी जाती हैइसलिएइसलिए इन्हें शुभंकरी भी कहा जाता हैदुर्गा पूजा के सब्तम दिन मा काल रात्री की पूजा का विधान हैइस दिन साधक का मन सहस्त्रार चक्र में इस्थित रहता हैउसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों के द्वार खुलने लगते हैंइस चक्र में इस्थित साधक का मन पूर्णतर मा काल रात्री के स्वरूप में अवस्थित रहता हैमा काल रात्री दुष्टों का नाश और ग्रह बाधाओं को दूर करने वाली हैइससे साधक भै मुक्त हो जाता हैनाम से अविवक्त होता है कि मा दुर्गा की ये सात्वी शक्ती काल रात्री के नाम से ही जानी जाती हैअर्थात जिनके शरीर का रंग घने अंदकार कितने एकदम काला हैनाम से ही सपश्ट है कि इनका रूप सुरूप भयानक हैसिर के बाल भिखरे हुए हैं और गले में विद्धुत की तमें चमकने वाली माला हैअंधकार में इस्ततियों का विनाश करने वाली शक्ती है काल रात्रीकाल से भी रक्षा करने वाली है ये शक्ती काल रात्रीइस देवी के तीन नेतर है ये तीनों ही नेतर ब्रह्माण्ड के समान गोल है इनकी सासों से अगनी निकलती रहती है ये गरधब की सवारी करती हैउपर उठेवे दाहिने हात की वर मुद्रा भक्तों को वर देती हैदाहिनी तरफ की नीचे वाले हात अभै मुद्रा में हैयानि भक्तों हमेशा निडर निर्भय रहोबाई तरफ के उपर वाले हात में लोहे का काटा तता नीचे वाले हात में खड़ग हैइसका रूप भले ही भैंकर हो लेकिन ये सदेव शुफ फल देने वाली हैसदेव आपका भला करने वाली माता हैइसलिए ये शुभंकरी कहलाती हैकालरात्री की उपासना करने से ब्रह्मान्ड की सारी सिद्धियों के दरवाजे खुलने लगते हैंऔर तमाम असुरी शक्तियां इनके नाम के उच्चारन से भी भैवीत होकर धूर भागने लगती हैंइसलिए दानाव, दैत्य, राक्षस और भूत, प्रेत उनके स्मर्ण से भी भाग जाते हैंये ग्रह बाधाओं को दूर करती हैं और अगनी, जल, जन्तु, शत्रु और रात्री भै को दूर करने वाली हैंइनकी कृपा से भक्त हर तरह के भै से मुक्त हो जाता हैतो बोलिये माता काल रात्री की जैहो, जैहो, जैहो
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