क्यों जयन्ती मंगलाकाली
भद्रकाली कपालिनी
दुर्गाच्छमाशिवाधात्री
स्वाशुधानमूस्तुते
बुले दुर्गे माता की जय
कि जय जय जय मा
भगवती
जय यंजनी के लाल
सर चरण में दीजियो
दो
मिनेट मय्या के चरणों में इस्तुति करते हैं
बड़ी ही पावन कथा है मा दुर्गा के अवतार की
जैसी जंता की मांगे थी देवी भगवत की पावन कथाओं की
तो आईए चलते हैं मा के चरणों में
के सारदा
तेरे ही गुड़गा कर
के
नरसव
भवसागर तरी
जाते
मय्या तेरे ही
गुड़गा कर
हे मा
भवानी
तेरे ही गुड़गा कर
नरसव भवसागर
तरी जाते
मय्या तेरे ही गुड़गा कर
मा सरद तेरी जो आवे वो
जीवन सफल बनावे जो सरद
उसको ब्यादी
नहीं सतावे
जो चिंतन तेरा करते हैं
सारदा तेरे ही गुड़गा कर
मा भारत सरद में आओ
मन में एक अभिलासा लाओ मा
के
तुमने भक्त सदा अपनाओ
की हम भी वई
आसा करते हैं सारदा तेरे ही गुड़गा कर
हरे चेजग चल ली सब दुख्यार ली
तिरे अवतार की पावन गाथा
रेके सित्मे मैया गाथ
अरे भरो सो तेरो एहरी भारी
श्री महराज़ी का नाम है मेदा रिशी
और
जो स्रोता हैं उनका नाम है सुरत नर्प महराज़ी
तो बड़ी ही पावन रोचक कथा है
आरे भारत करे बखान
सुनो दे ध्यान
कथा के भाई
अरे मा दुर्गा के अवतार की काथा तमको रो सुनाई
अरे तुमको रो
सुनाई ओ भाईया तुमको रो सुनाई
अरे
कैसे वहो यवतार
सुनो सरदार
प्रेमसे भाई
अरे मेदा
रिशी राजा को गाता रे बतलाई
मेदा रिशी बखता है और
राजा सुरत सुरोता है
आरे मेदा रिशी कता सुनाई
आजा सुरती रहे हर साई के बावाने कथा सुनाई
पाठक रहे हैं कलम चलाई
आरत गाय की रहे सुनाई
मेरे भया मेदा रिशी महराज सुरत को भगवान की बिछत्र कताएं सुनाते हैं
आज महराज सुरत के दिल में ये विलासा हुई कि मैं आज
सक्ती माता भवानी के अवतार की पावन कथा सुनना चाहता हूँ
पोले हम तयार हैं
सुनाओ सुनो
आरे
पूर्वसमे की
बातरे
कथा सुनो चितलाई
ये पूर्वसमे की बातरे कथा सुनो चितलाई
आरे सौन साल तक राचश से देवन की बही लडाई
महराज देवता युद्ध में हारी गए और जेच़कार भही राचश की आगे सुधार गए
देवता जीत के
भगवान का इस्मर्ण करते हैं
और राचश जीत के
आगे को प्रस्थान करते हैं कोई ओर हराना है
अरे महसासुर बलमाल सुनो देव्भाल सभाके भाई
देवता हले बाल के प्राण अरे कच्चू बज़ी गए कच्चू मरी गए
कच्चू ब्रह्मा के ढिंग गए
आई
अरे महसासुर बलमाल सुनो देवता हले बाल के प्राण अरे
महसासुर बलमाल सुनो देवता हले बाल के ढिंग गए आई
मेरे भईया
महसासुर ने देवताओं का जीना हरां कर दिया है
और
इंद्र की सिंघासन पर खुदाब बैठ गिया है।
देवता लोग भटक रहे हैं।
और भटकते भटकते कहां पहुंचे?
अरे गई देवतार
ब्रह्मा की
पास में आये।
चरण में धर्दोसी सदुखी मन यों बतलाए।
अरे ड्रोई काई देवतने बाली।
लाइं जाई नेनन से भुरकि रो पानी
प्रजापती यों समझाई रहे ब्रह्माजी
यों समझाई रहे
मारे के डिन जाई रहे
मारे के डिन जाई रहे
भगवान श्री हरी नारायिड की ओर प्रस्थान कर रहे हैं
आरे एक चाय तो उठे वले हारे हैं
आरे चरणों में सिर धरो तुखी मन बच नहीं उचारे
दादा वही गजब की बात राचश सीस पे बैठी गए
दादा वही गजब की मार देवता ख़व के आर गए
मेरे भईया
देवता
एकत्रत होके ब्रह्मा जी को साथ लेके
श्री हरी नारायिड परासक्ती की चरणों में अरदास लगाते हैं
अपना दुख रोते हैं और दोस्तो एक बात ध्यान रखना
अगर आप यह सोचते हों कि भक्ती करने वाले का कल्याण होता है
तो ध्यान देना ना कि भक्ती तो रावध भी करता था
देवता लोग कम भक्त नहीं थे
देवता भी पूजा करके ही सक्तिया अरज़ेत करते थे
अंतर सिर्फ नीथीयों का हुँता है कि आपकी नीथी कैसी हैं
ज्रूरी नहीं कि माला पहन्के चलने वाला हर वीख्कती सदाचारी है ।
देवता भी माला पहनके डोलते हैं
और राच्चस भी माला पहनके ही डोलते हैं।
तो भगवान विश्णु से देवता कहते हैं ।
पर
कि सिरी विश्णू और सिरी सिवजेल से
हरे देवों ने
बचन सुनाया है।
सुनलो ना
सिरी विश्णू और सिवजेल से
देवों ने बचन सुनाया है।
हे महराज
कि महराज सरण हम त्यारी हैं
कि असुरों ने बहुत सताया है।
आरे सूर्येंद्र अगिनी बायू
की चंद्रमा परुणयों कही रहे हैं
कि हम युद्ध में हारी गए स्वामी।
लाच्छस इंद्रासन करी रहे हैं।
सब लोग छिने हमसे स्वामी
महिसासुर्यसुर्बलंकारी।
सब छिन गया,
बेघर हो गयें।
कैसे बदु होई उनी असुरों का
देवता लोग अपना दुख रो रहे हैं।
बार बार प्रार्थना और बिन्ती करते हैं
कि हे ब्रह्माजी,
हे संकरजी,
हे स्रि नारायड,
आप हमारी रच्चा करियेगा।
मेरे भईयाँ,
संकरजी और विश्णूजी ने
आरे सुने सुरन के बेन
क्रोध बदन में भरी गयो
रक्त भरड भेन।
मेरे भईयाँ,
क्रोध में
भोले बाबा और स्रि नारायड जी हैं।
जी कहा कि इंद्रासन छिन गया है,
जितने देवताओं का आदिपत्त था वो सब छिन गया है,
अब उनकी सरकार है महराज।
सुधीर भाईयाँ,
आरे रक्त भरड भेन।
पीर हमेशा अच्छे लोगों की अच्छे लोग ही करते हैं।
यह नहीं लगे हैं।
अरे तेव क्रोदतन छाई।
सुनो चितलाई रहे बलखाई।
अरे तेवन के तनको तेग
निकल की रोहे आई।
अरे करो क्रोद देव मन भारी।
तन से निकली है चिंगभारी।
बाबा क्रोद करो यते भारी।
नेदार सिनें गिरा उचारी।
तेजसी प्रकट वही ये कर्नारी।
दियान दीना दोस्तों
दुर्गा का अवतार कैसे हुआ
कहानी प्रारम है
आरे संकर जी के तल के तेजसी
आरे नारी को मुख
प्रकट होया
आरे सिर के बाल बड़े गुमराले
आरे यम के तेजसी रहे लहराई
एक एक लाइन समझते जाना
संकर भगवान के तेजसे नारी का मुख प्रकट हुआ है सिर के
बाल बड़े गुमराले है वो यमराज के तेजसे प्रकट हुए हुए
आरे बजाप प्रकट वही विश्णूत तेजसी आरे इस तन चंद्र तेव गया
आरे वरड तेजसे जना पिलगे
आरे भागन तम धरासे आरे
आरे प्रहमाजी के
महतेजसे
आरे देवी के चरण प्रकटे है आरे
आरे सूर्य तेजसे पेर युमरिया
आरे बस वनहात रहे बतला
श्रीषूर नारायण भगवान के तेजसे पेरों की उंगलियों का नर्माण हुआ
और जो आठ वसू हैं उन वसूं से दुर्गा मय्या की अश्ट वजहाएं तयार हुई हैं
आरे दात प्रजापति तेजसे प्रकटे
आरे यगनी तेजसे नेत्र गयाई आरे कान वायु के तेजसे आये
भईया मेदा रिशी अब राजा शुरत को कथा सुनाए रहे हैं
कैसे दुर्गा कोई अवतार भारत के सिठ में गाय रहे हैं
देवताओं की जब बेज़ती हुई
तो देवताओं का क्रोध से तेज निकलने लगा है
उससे नारी का
आकार पंचु होते की सरीर का निर्माण होता चला गया
और दोस्तों
कि देवतेज के पुझ से
आरे प्रकटी
सुन्दर नारी
स्रोता चित देखें सुनो
आगे कथा समार्य।
ऐसा ही नहीं
कि तेज पुझ से प्रकट धई
देवता भी चक्करम पड़ गयें आखरकार ये हुआ क्या
सभी देवताओं के हाथ जुड़े गए
कोली ये तो प्रक़ती का नियम है
कोई सक्ति प्रकट हुई है
आज देवता लोग उस सक्ति का स्रग्बार कर रहे हैं
कैसे
जए हो जे हो जे हो ते भी
कहते बोले सीश जुकायाये
तब
पिनाक धारी भोले ने
आतों में त्रसूल पकड़ायाये
आज भोले बाबा ने
त्रसूल पकड़ाया
वो लखा के
देवी नियती बता रही है
कि तुम देवताओं के मुख पर मुस्कान लाओगी
आप मेरा त्रसूल ले लीजी
अरे चक्रतिया हरी विश्णूने और संक परुणने गहा दिया
कि यगनी ने सत्ती देवी ने
अटास्थ किया
देवताओं ने जब सस्तर दिये
तो वो मा किलकिला करके हसने लगी
तो भगवानारायण समझ गए कि राच्चसों का अंत आने वाला है
अरे धन समान दिये बायूने किये
रापत इंद्र गाई रे
एक बज्ज़ दिया है
देवराज अरे खड़े देव मुस्थाई रे
साथियो आज दुर्गे मय्या जब प्रकट होई हैं देवताओं के तेज़ से
तो देवता लोग अपने अपने सस्तर मय्या को गहा रहे हैं
कि राच्चसों से लडने के लिए मय्या की सहता जरूर होगी
मेरे भईया
हुआ ये
कि काल दंडयम ने दिया
हरे बरुण देव ने पास
हरे मड़े माला ब्रह्मा दयी
यो
कमंडल
खास
कि सूरी देवने किरड तेज़ आरे काल धाल तल्मार
चीरिशिन्दो ने भेट दयी मड़े मोती के हार
की देवी बस्त्र योरो
चूडा मड़ी
दो
कुंड भेट करे भाई
अरे दिव्य बस्त्र योर चूडा मड़ी
की दो कुंड भेट करे भाई
देवोंने की चरडों पूर गले में हैं
अरे हसली चाप युंगलीया में
मेरे भईया
आज मईया को सजाया जा रहा है
अस्त्र सस्त्र लोग भेट करने के लिए आ रहे हैं कि कोई
तो है जो हमारी ओर से लड़े ना है ऐसा ही नहीं दोस्तो
कि विश्व करमा फरसा भेट करो
अरे कचो अस्त्र सस्त्र गाए हैं
विश्व करमा फरसा भेट करो
कुछी अस्त्र सस्त्री गाए हैं
ऐसा ही नहीं दोस्तो
मधुपात्र कुबेरन दे डारो
सेस नाग सामने आए हैं
अरे सेर करजना करन लगो भकतल को मन हर साया है
देवन में जय जय कार भई के भारत मन में हर साया है
शानोаго दोर्ग माता की
सावी देवताGirlूं Savi Devta love मय्या की आरती करने लगे
और हुआतो हु ये
शानोगवा
बदानट नहीं आने काओ
अरे दुर्गा भवानी आई रे आई दुर्गा
ओहो दुर्गा भवानी आई रे आई दुर्गा
आई रे आई दुर्गा
अरे
दूपदीप से करें आरती
दूपदीप से
अरे सेर पैसो है माती भारती
अरे रत मसतानी आई रे ओह आई दुर्गा ओहो दुर्गा भवानी आई रे ओह आई दुर्गा
सुक्वीर
आई दुर्गा
आत जोड़ी कें करें स्तुती देव सभी हर जाएं
तर दर्थी डोलें पुस्पदेव बर्साएं
अरे दुर्गा भवानी आई रे ओह आई दुर्गा
नारी कपूर की बाती आरती देव उतारी रहें
दान देव में तारी मा की ओरन नियारी रहें
देवता लोग मईया की स्तुती करते हैं
ये चोटी सी कथा
मैया दुर्गा का अवतार आपके सामने पेस किया है
भाग नमर दो में आप सुनेंगे मा दुर्गा और महिसाशुर शंगराम
देवता आज मैया दुर्गा से कहते हैं कि एए मा
अरे धरणी करणी है गिरी भी
हारे
महिसाशुर के कर्मों से
के उद्धार करो से रामाली अपने
कर्कमलों से
हे मा
मेरा सिंगासन मेरा इंद्रासन चील लिया है
कहने लगे हैं देवराजिंद्र
के दुर्गा मेरी ओरी अपनी नजरिया ढारो
के दुर्गा मेरी ओरी अपनी नजरिया ढारो
के कब से खड़े धरसन कों मया धरसन कों
देखे चो ओरी अपनी
नजरिया ढारो
Đang Cập Nhật
Đang Cập Nhật
Đang Cập Nhật
Đang Cập Nhật