सलिका यो धनपहरण का साद्गी दिखे सुटा मैं
जो दिल में आया बोलती आलकोना आवेना जूठा मैं
तपदी गर्मी मैं जो सुकून देवे उस छांबर गीसे
तू दिल की सेकती साफ जमां मेरी मां बरगीसे
आदा
चुनी तारे तू तन सरमलाज का बेरासे
ना युच्छी कदे आवाज सुनी सवभाव शांत जमां तेरासे
छोटी छोटी खुशियां मैं खुश हूँ तू जावेसे
जो धवादिया होई पैर लिया ना लखरेयां वैसे
सालां ते तडफ दे आशिक ने होई हां बरगीसे
तू दिल की सेकती साफ जमां मेरी मां बरगीसे
तू दिल की सेकती साफ जमां मेری मां बरगीसे
बालक बरगा नेचर से थोड़ी सी जिद्दी तू
गने शानयां की इस दुनियां में हां कितनी सिद्दी तू
आप फिर उसके बोल पड़े ना होना नराज यावे
मां दुरगाटे घणा लगाव
डेली मंदिर जावे
किसे शायर की शायरी पे मिले उस वावरगीसे
तू दिल की सेकती साफ जमा मेरी मां बरगीसे
इस तिरी सादगी पे खिताब तो तने के देऊँ
जै कोई पुछे सब ते सुथरा कौन तो नाम तेरा मैं ले देऊँ