मा तेरे दर्प जो भी गया था
वो कभी भी न जाता है खाली
सब की विगडी बनाती वो मैईया जो भी माचा गे बन के सबाली
मा तेरे दर्प जो भी है आता वो कभी भी न जाता है खाली
तेरे दर्बार ने जो एक बार आता जैहू मामा कहतर तुझे वो बुलाता जैहू
जैहू
जैहू
जैहू
मा तेरे दर्प जो भी है आता ओ कभी भी न जाता है काई
जेहो
अपने दुनिया समा देती जेहो
पांदे को आख मा कोई तो काया देती जेहो
बाजिन को लाल देके गोध सूमी भरती जेहो
बदले में भक्तों से मईया कुछ न लेती गो
जेहो
गाया बरसाती जेहो मा फुसिया लाती जेहो
तम तरन के घर मा जाती गो जेहो
अपने भक्तों की करती रखवारी
ए मेरी मैया तुसे लेगा बाली
मा तेरे घर पे जो भी गया ता ओ कभी भी न जाता है काई
मा तेरे घर पे जो भी गया ता ओ कभी भी न जाता है काई
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