जान विच जान बेगी
जान विच जान बेगी
जान विच जान बेगी
जान मुड़े आई है
इसलिए जिरब छो लोडी मदाई है
देरे होनी उठे सारे पिंड़ नू सजाया है
चार दिती पढ़ी हलवाई भी बुलाया है
होड मूरे देखिया जि चुत्ती लमकाई है
इसलिए जिरब छो लोडी मदाई है
कल तक सुना सुना सी जो विचारा
फुट फुट देखि उचा हो गया चुबारा
चाहिदानी तन बस यहो कमाई है
इसलिए जिरब छो लोडी मदाई है
वै गिया सी डूंगे पत नाच कुछ तार के
हो गिया सी चुप चन मैं ठक हार के
चोरा सी मैं बेवजा मोहापत कावाई है
इसलिए जिरब छो लोडी मदाई है
खुशी आज पीक ते ते रात भी जवान है
इक तू, इक पिंड, इक ते रमान है
आज मेरे किताँ भी बैशन समाई है
इसलिए जिरब छो लोडी मदाई है
जान विच जान बेगी
इसलिए जिरब छो लोडी मदाई है
आज मेरे किताँ भी बैशन समाई है
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