लोग जो अपनी अपनी कहते हैं
मैं किसी जेहन का पावन्द नहीं
लोग जो अपनी अपनी कहते हैं
मैं किसी जेहन का पावन्द नहीं
लोग जो अपनी अपनी कहते हैं
लोग जो अपनी अपनी कहते हैं
कल मेरी नातमं सी हालत थी
कल मेरी नातमं सी हालत थी
अब मेरे होसलों पे जंग नहीं
नहीं
मैं किसी जेहन का पावंद नहीं लोग जो अपने अपनी कहते हैं
घमें हस्ती गुजार ली हमने
घमें हस्ती गुजार ली हमने
घमें हस्ती गुजार ली हमने
घमें हश्ती गुजार ली हमने
दायराएं खल्ब इतना तंद नहीं
लोग जो अपनी अपनी कहते हैं
मैं किसी जिहन का पाबंद नहीं
लोग जो अपनी अपनी कहते हैं
लोग जो अपनी अपनी कहते हैं
अब तो कागस पे बुत बना लो नवीद
जिकर दुनियां तुम्हें पसंद नहीं
लोग जो अपनी अपनी कहते हैं
लोग जो अपनी अपनी कहते हैं
लोग जो अपनी अपनी कहते हैं
मैं किसी जहिन का पाबंद नहीं
लोग जो अपनी अपनी कहते हैं
लोग जो अपनी अपनी कहते हैं
लोग जो अपनी अपनी कहते हैं